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श्रद्धांजली
Sector 93 Noida

श्रद्धांजली

तरित कुमार बोसय एक कच्ची उमर का किशोरद्य जीवन में बहुत कुछ करने के सपनें। किशोर वय होती ही ऐसी है…। संगीत और वादन में रूचि और लगन। इसी के चलते पिता नें नाम दे दिया तानसेन! सम्पन्न कारोबारी, संयुक्त परिवार। संगीत वादन का कोई स्थान नहीं था, ये तो प्राथमिकता नहीं थी। प्राथमिकता व्यापार ही था, उसे सम्भालना और आगे बढ़ाना यही कर्मक्षेत्रा था। पिता की इच्छानुसार वो तरूण अपनी संगीत के प्रति प्रेम को एक तरफ रख पारिवारिक व्ययसाव में सहयोग करनें लगा। संगीत अभी भी हृदय में प्रथम प्रेम की तरह जीवित था। स्व. श्री तरित कुमार बोस, हमारे प्रांगण के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे।

बहुमुखी प्रतिभा के धनी, शास्त्राीय संगीतध्वादन, फोटोग्राफी सभी में रूची। फोटोग्राफी प्रद्रशनियों में भाग लिया और पुरस्कृत भी हुए। और व्यापार में एक निपुण व्यापारी की तरह उसमें भी दक्षता दिखाई। अपने प्बलिकेशन के कारोबार को और आगे बढ़ाया। हां यह जरूर है कि इसमें अपनें रूचियों को एक तरफ रखना पड़ा। अपनें व्यापार एवं पारिवारिक दायित्वों को पूरी निष्ठा से निभाया। साथ ही यदि कभी भी समय मिला तो संगीत आयोजनों में जरूर जाते। उस समय भद्र परिवार की महिलाओं के लिए संगीत और गायन वर्जित था। परंतु अपनी पत्नि और अन्य महिलाओं के लिए संगीत शिक्षा का प्रबंध किया, उन्हें सीखनें के लिए प्रेरित किया।

इस वर्ष इनके परिवार नें श्रद्धांजली के लिए एक विशेष आयोजन में किया। पुत्रा और पुत्राी नें पिता के स्मृति में एक संगीत नाटिका ‘‘तानसेन“ का आयोजन ऐटीएस विलेज किया जो सराहनीय था। मधुर शास्त्रीय संगीत और कलाकारों का उत्कृष्ट अभिनय दर्शकों को बांधे रखनें में सक्षम था। यह तानसेन के जीवन पर आधारित नाटक था। जैसे कि स्व. बोस के पिता नें उन्हें ‘‘तानसेन’’ नाम दे दिया था, उस दृष्टि से यह एक उपयुक्त चयन था। अपनें कलाप्रेमी पिता के लिए इससे बढ़ कर श्रद्धांजली और क्या हो सकती थी!

द्वारा मीना शर्मा (8076456439)

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