प्रकट भय कृपाला हिन्दुओं के आराध्य देवता श्री कृष्ण के जन्मदिन के उपलक्ष्य में इस वर्ष भी जन्माष्टमी का उत्सव हमारे सेक्टर 39 के मंदिर में बड़ी ही श्रद्धा आस्था और भक्ति भाव से मनाया गया। इस पावन दिन देवी-देवताओं की सुंदर पोशाकों से लेकर सुंदर फूल-सज्जा, लड्डू गोपाल के झूले की चित्ताकर्षक मयूरों की सजावट, शिवलिंग का रुद्राक्ष श्रृगांर और विशेष रुप से सेक्टर की महिलाओं द्वारा बनी झाँकियों से मंदिर को सजाया गया। श्रीकृष्ण के भजन-कीर्तन और गीतों के माध्यम से उनकी लीलाओं को भजन संध्या के द्वारा प्रस्तुत किया गया।
कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हमारी सभ्यता व संस्कृति को दर्शाता है इसीलिए कृष्ण के जीवन से जुड़े विभिन्न प्रसंगो को झाँकी का रुप दिया गया। यशोदा मैया के लल्ला तो कभी ब्रहमांड के दर्शन कराने वाले तो कभी नटखट कान्हा ब्रज के, एक के बाद एक कई राक्षसां के वध व मुक्ति करने वाले, तो कभी मटकी तोड़ माखन चोरी कर खाने वाले, ग्वालो के साथ एक उगंली पर गोवर्धन उठाते हुए, गोपियों के वस्त्रा हरण करते हुए या फिर राधा और गोपियों के साथ रास लीला में प्रेम मग्न। द्वाराकाधीश निर्धन सुदामा से मित्राता निभाते तो कभी महाभारत में अर्जुन के सारथी बन अपने विराट रुप के दर्शन द्वारा गीता के उपदेश से हर क्षेत्रा में मार्गदर्शन करते हुए चाहे वो कर्म, धर्म, प्रेम या भक्ति हो। बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, एक दिन उसका अंत अवश्य होता है। कृष्ण जी ने भगवान होते हुए भी कारावास में जन्म लेकर और सांसारिक कष्टों को सहकर मानव को सीख दी कि जीवन में हार न मानते हुए हर परिस्थिति का सामना करना ही कर्तव्य और धर्म है।
इसके अतिरिक्त शिरोमणि मीराबाई की झाँकी जिसे भक्ति, संगीत और साहित्य की त्रिवेणी माना जाता है और जिसने गिरधर गोपाल के सगुण स्वरुप की एकनिष्ठ भक्ति कर वैराग्य ले लिया, उसे आज भूला नहीं जा सकता। ध्रुव की ईश भक्ति और श्रवण कुमार की मातृ-पितृ सेवा व समर्पण की भावना लोगो को उच्चतम मूल्यों की दिशा में प्रेरित करती हुई एवं द्रोपदी चीर-हरन प्रसंग जो अधर्म व पाप के खिलाफ आज के समाज का मार्ग दर्शन करने के लिए, जिन्हें आकर्षक झाँकियों द्वारा दर्शाया गया शिव और शक्ति के सम्मिलित अद्भुत अर्धनारीश्वर स्वरुप की झांकी भी समाज में महिला और पुरुष की समानता का महत्व तथा नारी सम्मान का उपदेश व संदेश देते हुए मनोहारी लग रही थी।
मंदिर समिति ने भक्तों द्वारा भक्तों के लिए मेवे का दूध, पेड़ा, नारियल बर्फी, फल व धनिये के प्रसाद का प्रबन्ध किया जिसे पाकर सभी आनंदित हो रहे थे। रात्रि 12 बजे लड्डू गोपाल का अभिषेक किया गया और माखन मिश्री एवं चरणामृत का वितरण किया गया।
ऐसे आकर्षक उत्सवों के आयोजन से समाज में आनंद और खुशी की भावना को बढ़ावा मिलता है तथा इनमें भागीदारी से सामाजिक बंधन मजबूत होते है और सशक्त समाज का भी निर्माण होता है।
मंदिर समिति सभी भक्तों का धन्यवाद एवं आभार प्रकट करती है जिन्होंने इस उत्सव में सम्मिलित होकर किसी न किसी रुप में सेवा और सहयोग किया हैं। धन्यवाद
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