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माता चिंतपूर्णी और जन्माष्टमी कीर्तन
Gulmohar Park

माता चिंतपूर्णी और जन्माष्टमी कीर्तन

गुलमोहर पार्क में प्रत्येक मंगलवार, एकादशी या कोई भी धार्मिक उत्सव को भजन कीर्तन के साथ श्रीमती सीमाके घर डी-24 में बड़े ही हर्षोल्लास से आयोजित किया जाता है। इस बार भी त्योहार को कीर्तन द्वारा मनाया गया।

हिमाचल प्रदेश के चिंतपूर्णी माता के मंदिर में सावन मेले का आयोजन सावन महीने में किया जाता है। चिंतपूर्णी अर्थात चिंता को दूर करने वाली देवी मां को ‘छिन्नमस्तिका’ भी कहा जाता है। हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित सिद्धपीठ में प्रतिवर्ष श्रावण अष्टमी का विशाल मेला लगता है, जो इस बार 17 अगस्त से 25 अगस्त तक चला। वहां पर मेले जैसा माहौल पहले से ही आरंभ हो जाता है। इस मेले को श्रीमती सीमा मेनी ने डी-24 में अपने घर भजन कीर्तन के रूप में मनाया। इसे प्रतिदिन अनेकों भक्तों ने आकर भजन कीर्तन द्वारा बहुत ही उल्लासित, मन्त्रमुग्ध होकर संपन्न किया।

इसके पश्चात आया जन्माष्टमी का त्योहार। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पावन त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। प्रतिवर्ष भाद्रपद के महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। इसी दिन भगवान विष्णु ने द्वापर युग में भगवान कृष्ण के रूप में अपना आठवां अवतार लिया था। इसे सीमा मेनी के घर 7 सितंबर के दिन भजन कीर्तन गाकर मनाया गया। गुलमोहर पार्क, नीति बाग, गुलमोहर एनक्लेव की अनेक भक्तों ने बढ़-चढ़कर भजन कीर्तन गाकर जन्माष्टमी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया। उसके पश्चात छठे दिन भी अर्थात भगवान की छठी भी भजन कीर्तन द्वारा ही मनाई गई । अंत में भक्तिभाव से आरती गाकर कीर्तन सम्पूर्ण हुआ। प्रसाद और जलपान का भी किया गया। सभी भक्तों के द्वारा उत्साहपूर्वक कीर्तन संपन्न हुए।

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