पिछले महीने की संवाद पात्रिका में मैने एक लेख लिखा था, जिसमें महाकुंभ प्रयागराज में स्नान व कल्पवास के चिकित्सीय महत्व पर प्रकाश डाला गया था। संतों की महान अनुकम्पा से मुझे पुनः वह अवसर प्रदान हुआ। इस बार तो प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में गोता लगाने के साथ-साथ मुझे अंतरराष्ट्रीय श्री शिवमहापुराण के कथावाचक आदरणीय श्री प्रदीप मिश्रा जी की कथा में सपरिवार मुख्य यजमान की भूमिका निभाते हुए कथा सागर में गोता लगाने का सुअवसर भी मिला।
त्रिवेणी संगम की गोद में बैठकर शिव महापुराण की कथा का आनंद और वह भी पंडित प्रदीप मिश्रा जी के श्री मुख से सुनना ऐसा लगा था कि किसी आवतार पुरुष के मुख से सुन रहे हों। मन गद-गद हो गया। जीवन में यह मेरा असीम सौभाग्य था।
पूरे परिवार के साथ हम सत्तु बाबा के शिविर में 9 फरवरी की रात को पहुंच गये थे। 10 फरवरी से कथा का शुभारंभ हुआ। सात दिन तक कथा श्रवण कर कथा सागर में गोते लगाते हुए त्रिवेणी स्नान व दर्शन कर पता ही नहीं चला की समय कैसे बीत गया।
ऐसा लगा कि जैसे तन, मन, धन सब पवित्रा हो गया। संतों का आशीर्वाद से पुनः जीवन में ऐसे अवसर बार-बार आते रहें इस आशा व प्रार्थना के साथ हम हर-हर गंगे, हर-हर महादेव करते हुए घर के लिए रवाना हुए।


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