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पावनता का पर्व : नवरात्रि
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पावनता का पर्व : नवरात्रि

द्वारा शीला श्रीवास्तव

गणपति बप्पा मौर्या की गूँज के साथ गणपति के अनंत चतुर्दशी को विसर्जित होते ही नवरात्रि के आगमन की प्रतीक्षा होने लगती है। यद्यपि गणपति विसर्जन और नवरात्रि के बीच पूरे 15 दिनों का अंतराल होता है किंतु पूरे जोर शोर और उमंग के साथ नवरात्रि की तैयारी श्राद्ध पक्ष से ही प्रारंभ हो जाती है, क्योंकि श्राद्ध पक्ष की समाप्ति के दूसरे दिन से ही माँ दुर्गा का आगमन होता है। पूजा की सामग्री को खरीदना, पूजा घर की सफाई, फलाहार का आयोजन और डांडिया का उत्साह , सभी कुछ गृहिणियों को अति व्यस्त कर देता है।


वेलिंगटन की महिलाएं भी इस उत्साह से अछूती नहीं रहतीं
और वे पूरे जोर शोर से माँ के स्वागत के लिए तत्पर हो जाती हैं। पूजा के साथ भजन कीर्तन का होना तो आवश्यक है, इसके लिए पहले घरों में बारी बारी से कीर्तन का आयोजन होता था किंतु पिछले तीन वर्षों से कोविद् के कारण यह घरों में न होकर ज़ूम पर होने लगा था। इस वर्ष माँ की कृपा से स्थिति सुधर जाने के कारण फिर इसका आयोजन कुछ महिलाएं घरों में करने लगी हैं। यद्यपि अधिकतर महिलाओं को यह ज़ूम में अधिक सुविधा जनक लगता है किन्तु नई पीढी इसे घर में कराने के पक्ष में है इसलिए इस वर्ष यह आयोजन ज़ूम पर और घरों में, दोनों ही स्थानों पर हुआ। ज़ूम पर 4.00 से 5.45. तक और घरों में 5.30 से 7.00 तक इसका समय निश्चित किया गया ताकि जो महिलाएं दोनों जगह भाग लेना चाहें, ले सकें।
नवरात्रि के अंतिम दिन अर्थात 4 अक्टूबर को वेलिंगटन के सभी 95 कर्म चारियों और कीर्तन में भाग लेने वाली 50 महिलाओं को भोजन वितरित किया गया।

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