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थोड़ा सा श्रेय मुझे भी जाता है, आखिर मेरा बेटा है
Sector 39 Noida

थोड़ा सा श्रेय मुझे भी जाता है, आखिर मेरा बेटा है

कुछ महान व्यक्ति हमारे जीवन मे कुछ ही पलो के लिए आते हैं, परन्त दिल में अपनी अमिट छाप छोड़ जातें हैं! श्रीमति प्रेम वर्मा उनमें से एक है! जब उनके निधन के बार मे सुना, आँखों के सामने उनकी मधुर मुस्कान वाली छवी उभर आयी!

वो एक यादगार दिन था जब मै और नीरजा जी सूरज वर्मा जी की अद्भुत उपलब्धि के उपलक्ष् में, उन्हें गोल्ड मेडल की बधाई और इंटरव्यू लेने उनके घर पर गए थे! तभी उनकी पूज्य माता जी के दर्शन का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ, बातचीत के दौरान जब हम सूरज जी के प्रयत्नों की प्रशंसा कर रहे थे, तो उनकी माता जी के वो शब्द आज भी हमारी यादों में गूँज रहें हैं। ‘‘थोड़ा सा श्रेय मुझे भी जाता है, आखिर मेरा बेटा है’’ मां की ममता और संस्कारों का अनूठा संगम उन्होंने एक पंक्ति मे कह दिया! अंत में यही कहना चाहूँगी कि उनके दिखाये मार्ग पर चल कर और उन्हें अपनी यादों में संजो कर रखना ही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होती है!

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