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गुरु का लंगर
Sector 78 Noida

गुरु का लंगर

by Shubhkiran Bedi (E 002 Sunshine Helios)

जो मांगे ठाकुर अपने से सोई सोई देवे नानक दास मुख के जो बोले ई यहां हां, वहां सच हो गए।

इसी सद्भावना से हम सनशाइन वालों ने गुरु का लंगर या भंडारा का आयोजन किया।

हमारे गुरु नानक देव जी ने हम सबको कई वर्षों पहले यह सिखाया कि सब इंसान एक हैं और सब मिल बांट कर एक साथ खाएं, इसी सद्भावना के साथ जब हम किसी को लंगर या भंडारा खिलाते हैं तो एक बहुत ही अच्छा आनंद आता है मन को शांति मिलती है, भूखे का पेट भरता है और हर इंसान दुआएं देकर जाता है।

नानक देव जी कहते थे अव्वल अल्लाह नूर उपाय कुदरत के सब बंदे एक नूर ते सब जग उपजा कौन भले कौन मंदे, इसका इसका अर्थ है कि हम सब एक हैं हम में कोई भेदभाव नहीं है सब मिलकर खाएंगे जितना बाटेंगे उतना बढ़ेगा इतनी बरकत आएगी, हम सब में इतना जोश आ जाता है की सड़क पर चलते हुए हर इंसान को हम रोक रोक कर भंडारा खाने का न्योता देते हैं उनको इस भंडारे की महत्वता भी साथ-साथ बताते हैं उन्हें भी यह जानकर बहुत अच्छा लगता है कि भंडारा किस वजह से लगाया जा रहा है।

इस भंडारे में हम सब थे दीपा चैधरी वंदना खन्ना कविता मल्होत्रा जेष्ठा नागरथ और आदि, पार की तरह इस बार भी इस बार भी गुप्ता जी ने बहुत ही अच्छा लंगर बनाया जिसमें ब्रेड पकोड़ा कड़ा प्रसाद और चाय की योजना की यह इंतजाम बहुत ही बढ़िया था सब लोगों ने पेट भर खाया और खुशी-खुशी घर गए हम यह दुआ करते हैं हर बार भगवान हमसे इसी तरह से भंडारे करवाते रहें और हम आगे बढ़ कर सेवा करते रहे।

अरदास अरदास में हम हर बार यही कहते हैं जो मांगते हैं हम अपने ठाकुर जी से वह हमें स्वयं देते हैं अगर हम अपने इन हाथों से किसी की सेवा कर सके या किसी का पेट भर सके तो इससे अच्छी बात इस दुनिया में कोई नहीं हो सकती।

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