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कौन हो तुम

सुनिता (एक्सक्लूसिव फ्लोर) द्वारा सभी वरिष्ट मित्रों को समर्पित

कौन हूँ मै और कौन हो तुम सब ,
क्या नाता है मेरा तेरा ।
दुःख में पीड़ा तुम्हे बताऊँ ,
सुख में खुशियाँ साथ मनाऊँ ।
छोटा सा कीर्तन हो घर में ,
लख – लख मै दुआएं पाऊँ ।
बाल ना रंगू तो डांट भी खाऊँ ,
छोटी हूँ मै लाड़ ये पाऊँ ।
घर में बडी बनी मै सबकी ,
तुम सब में छोटी बन इतराऊँ ।
निकलूं जो मै थोडा सजधज के ,
तुम सब की तारीफ मैं पाऊँ ।
मेरी झोली में तुम सबने ,
भर-भर कर आशीषें डाली ।
तुम सबका जीवन भी महके ,
संग मनाएं होली दिवाली ।
कभी भूल से भूल मै करदूँ ,
छोटी मान के माफ सब करना ।
तुम सब जब मिलकर बैठो तो ,
मुझको भी तुम शामिल करना ।
कौन हूँ मै और कौन हो तुम सब ,
क्या नाता है मेरा तेरा ।
बहुत सोचा पर नाम ना सूझा ,
किस रिश्ते से तुम्हे बुलाऊँ ।
माँ नहीं हो , बहन नहीं हो ,
सास , नन्द जैसी नहीं लगती ।
तुम सबने अधिकार दिया दिया है ,
जो चाहूँ मै तुम्हे बुलाऊँ ।
नाम तुम्हारा ले सकती हूँ ,
सखी सहेली बन इतराऊँ ।
धन्यवाद दूँ किन शब्दों में ,
भावना को कैसे बतलाऊँ ।
मान बढ़ाया है तुम सबने ,
हाथ जोड़ अभिनंदन गाऊँ ।


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