पहले शहरों में काफी हाऊस एक ऐसी जगह होती थी जिनमें लोग बैठते और हर तरह की चर्चा करते। यानी कि एक ऐसी जगह जहां बुद्धजीवी बैठते और वर्तमान परिस्थितियों पर, महत्वपूर्ण विषयों पर, जम कर चर्चा करते। अगर मैं ये कहूं कि हमारी सोसायटी, ऐ.टी.एस. विलेज, में Atheneum भी इसी तरह की एक जगह बन चुकी है जहां आपको किसी भी विषय पर बातचीत करनें का, गूढ़ चर्चा करनें का, माहौल मिलता है तो ये गलत नहीं होगा।
अभी पिछले माह, एक दिलचस्प किताब पर बातें हुईं। इस बार, विश्वव्यापी समस्या पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बातचीत हुई। हमारी ही सोसायटी की जानी-मानी निवासी, निखत त्यागी, नें रामचंद्र गुहा की किताब “Speaking With Nature” का विवरण देते हुए अनेंक जानकारियां दीं। निखत स्वयं भी पर्यावरण को लेकर बहुत सचेत हैं और इसके लिए अन्य संस्थाओं से जुड़ी हैं। इनके लिए काम करतीं हैं।
हम सब अभी दो-ढाई दशकों से ही पर्यावरण के बारे में जागरूकता की बात करतें हैं। चर्चा पर जानकर आश्चर्य हुआ कि इस क्षेत्रा में तो लोग पिछली सदी से ही प्रकृति के मूल रूप को सहेजनें में क्रियाशील हैं।
यह एक पुस्तक है जो पर्यावरण के इतिहास से लेकर वर्तमान के सभी आंकड़ों के साथ स्थिति स्पष्ट करती है। निखत नें पुस्तक का सार, पूरे विवरण के साथ प्रस्तुत किया। एक महत्वपुर्ण विषय पर बहुत आवश्यक चर्चा थी। कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति इसे अनदेखा नहीं कर सकता। यह वर्तमान की बहुत बड़ी समस्या है जिसका समाधान हमें ही ढुंढना है।
निखत एक अच्छी वक्ता हैं, इसलिए कहीं भी विषय से भटकाव नहीं था। और इन्होंने इस विषय पर किताब का चुनाव किया, इसके माध्यम से अनेक जानकारियां मिलीं इसके लिए ये प्रशंसा की पात्र हैं।



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