Subscribe Now
Trending News

अब तृप्त हुआ मन
Sector 92 & 93B

अब तृप्त हुआ मन

अहा!! आखिरकार आकाश में मेघा घिर आए, वर्षा की फुहारें जीव जंतुओं में नई चेतना भर गया। ग्रीष्म की ताप से राहत दिला गया। ‘‘चातक“ भी वर्षा ऋतु की पहली बूंद के लिए आस लगाए देख रहा था। अब तृप्त हुआ मन और तन! ये पुरवा हवा भी ना, भीगो ही गई। तो अब, मानसून का आगमन हो चुका है। आकाश में काले मेघा इधर से उधर घुमड़ रहें हैं, जहां मन बन गया बरस लेंगे। अब इस मौसम का आनंद लिया जाय, बालकनी में बैठ कर टिपिर-टिपर का संगीत सुना जाए। रंगबिरंगी छतरियों में कुछ भीगे से कुछ सूखे से, बाहर आकर बूंदों को छू कर महसूस किया जाए। देखिए वर्षा की फुहार चेहरे पर कितनी मुस्कान ले आई!

Home
Neighbourhood
Comments