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Yarn and Needles…सुई धागे का जादू!
Sector 93 Noida

Yarn and Needles…सुई धागे का जादू!

मन में भाव हों तो कलम से उकेर दी तो बन गई कविता और कहानी… मन में भाव भरे और तूलिका से रंग भरे तो बन गई उत्कृष्ट चित्राकारी जब मन में लगन हो तो माध्यम कुछ भी हो जो भी बन कर उभरेगा वह निरूसंदेह विशिष्ट होगा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो हम सबनें अभी पिछले दिनों अपनें प्रांगण में ही देखा।

सुई, सलाई और क्रोशिया धागों और कपड़ों के साथ इतना जादू कर सकतें हैं, यह देख कर विश्वास नहीं हुआ लेकिन नतीजा तो सामनें ही था। ये जादू था उन हाथों का, उनकी लगन का और परिश्रम का। कैसे-कैसे धागों का उपयोग कर बैग, वस्त्रा, खूबसूरत लेस और तो और आभूषण भी! घरेलू उपयोग की भी अनेक चीजें थी और भी निखरे हुए रूप में।

पहले घरों में स्त्रियां फुरसत में और जरूरत को पूरा करनें के लिए भी, या अपनें शौक के लिए भी, विविध वस्तुएं बनाया करतीं थीं, धीरे-धीरे एसा लगनें लगा कि शायद यह कला विलुप्त होती जा रही है। स्त्रियां अब काम काजी हो रहीं है, जिम्मेदारियां भी बढ़ गईं है। पर बहुत सुखद आश्चर्य हुआ कि ये काम काजी महिलाएं अपनें काम को बखूबी निबाह रहीं हैं और साथ ही साथ अपनें शौक के लिए भी समय निकाल रहीं हैं। उनकी यह कला एक नए आयाम के साथ सामने आयी। बिल्कुल आधुनिक रूप और बेहद आकर्षक वस्तुएं, परिधान!

ये उन लोगों के लिए प्रेरणा भी थी जो इन कलाओ को जानते हुए भी इनसे विमुख हो चुके हैं। इस प्रदर्शनी में जो महिलाएं आगे बढ़ कर आयीं उनका जिक्र बहुत जरूरी है। ये थीं, रूचि श्रीवास्तव, साधना चैधरी (0933), मालती भाटिया (2023), कुमकुम अखौरी (0753), अनीता मेहरोत्रा, अमृता पई (1914), ज्योति सिंह (1841) और नीतू सक्सेना (0671)।

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