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Sector 93 Noida

मां तुमने हमेशा मेरी भलाई सोची

मां तुम मुझे मुसीबत के समय क्यों याद आती हो। वैसे तो हमारे तुम्हारे बीच मतभेद ही चलता रहता था। जनरेशन गेप होते हुये बहुत सी बातें मुझे तुम्हारी बिल्कुल पसंद नही आती थीं। तुम अपने अनुभव मुझे देना चाहती थीं, जो की मुझे फिजूल लगते थे। जैसे जैसे मैं बडी होती गई। तुम्हारा रोकना टोकना मुझे बिल्कुल पसंद नही आता था। हांलकी तुमने हमेशा मेरी भलाई ही सोचा होगा। तुमने तो यही चाहा बेटी को वो सब न झेलना पडें जो तुमने कभी झेला था। कदम कदम पर मेरे सामने ढ़ाल बनकर खडी हो जाती थी। शायद मेरी सुरक्षा कवच बनकर या फिर समाज के डर से। मेरे बहकते कदमों पर अकुंश लगाना चाहा।

कोई भी मां अपने बच्चों की इच्छाओं को कटौती कर ही पालती पोसती है। भूखी रह सकती है, परन्तु दिल के टुकडें को हर सम्भव मुसीबत से बचाने की चेष्टा रखती है। आकाश की ऊचाईयों को छुने की सलाह देती है।

मां, ये सब बातें मुझे स्वंय मां बनने के बाद सीढ़ी दर सीढ़ी समझ में आती गई। आपने हर कार्य में मुझे निपुण करना चाहा। बेटी तो पराई अमानता है दुसरे घर जाना ही है। वही उसका अपना घर होगा। नए परिवार में भाव सम्मान बनाकर रखना होंगा। आपकी सलाह मेरा मार्गदर्शन करेगी।

यही सोचकर जीवन के अनचाहें रास्तों को छोडतें हुयें, आपकी याद आ जाती है। मां मैं सब काम सीख गई हूं। मुझे पता है पति का प्यार पाने के लिये रास्ता स्वादिष्ट भोजन से मिलता है। सास ससुर की अपेक्षाएं क्या होती है। जेठानी-नंदों के ताने दिल के खुले तिर की तरह लगते है परंतु सहन शीलता का मंत्रा तो आपने ही दिया है। होम मनेजमेंट आपने ही सिखाया है। पड़ोसी से संबंध कैसै हो, हिम्मत साहस तुम्हीं से विरासत में मिली है।

मुझे मालुम है हर बलिदान कुछ उपहार भी दे जाता है। मां सपने में वह पुरानी लोरी तो सुना दो। तुम्हारी राज दुलारी बहुत दिनों से सोई नही हैं। मां तुम्हारे हाथ की आलू की सब्जी बहुत याद आती हैंै।

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