अकेले कोई कुछ भी हासिल नहीं कर सकता। उसे बहुत सारी मदद की जरूरत होती है। आपसे बात कर रहा मैं, दुनिया का सर्वश्रेष्ठ बाॅडीबिल्डर भी अकेले यहां तक नही पहुंचा।
मैं हमेशा लोगों से कहता हूं कि मुझे किसी भी नाम से पुकारें- अर्नोल्ड कहें, श्वार्जनेगर कहें या बाॅडीबिल्डर, लेकिन कभी भी सेल्फमेड या अपनी दम पर बना व्यक्ति न करें। इसे समझना जरूरी है। कोई भी तमगा, उपलब्धि चुपचाप स्वीकार कर लेना, मतलब उन लोगों को भूल जाना है, जिन्होंने हमेशा आपका साथ दिया। वो सारे लोग जिन्होंने मुझे सलाह, समय, प्रोत्साहन और हौसला दिया। मेरे ख्याल से सेल्फ मेड पुरुष या महिला का पूरा विचार ही भ्रम है।
आप कहेंगे कि सेल्फ मेड लोगों की कई कहानियां पढ़ीं है, डाॅक्यूमेंट्रीज देखी हैं। मैं कहूंगा कि हां मैने भी देखी हैं, कई आत्मकथाएं पढ़ी हैं, लेकिन वे पूरी कहानी नहीं है। कहानी का दूसरा सिरा बताना रह गया है। मैंने अपनी जिंदगी में जो भी पाया, वो मदद थी। जिंदगी टर्मिनेटर की तरह नहीं कि अचानक लाॅस एंजिलिस की सड़कों पर मैं प्रकट होकर आग के गोले बरसाने लगूं। कोई तो था जो मददगार बना। क्षणभर के लिए सोचिए कि आपका मददगार ईश्वर है। जो ईश्वर को नहीं मानते कम से कम जैविक चीजों पर तो भरोसा करिए कि माता-पिता ने आपको बनाया। माता-पिता ने मुझे खिलाया पिलाया, प्यार दिया, शिक्षा दी और भी बहुत कुछ। स्कूल गया तो शिक्षकों ने ज्ञान दिया, समझ दी। स्कूल में दोपहर में मां खाना लेकर आती थीं। शाम को पिता खेल सिखाते थे। पिता ने अनुशासन सिखाया और पहली सलाह दी कि जो कुछ भी करो, उपयोगी होना चाहिए। ऐसी ही बाॅडीबिल्डिंग शुरू करने की भी अपनी कहानी है। सब रातों-रात नहीं हुआ। मैं खाली हाथ अमेरिका आया। जिम बैग में कुछ बदबूदार कपड़े और जेब में 20 डाॅलर बस। लेकिन लोग मदद करते गए और मैं आगे बढ़ता गया- मि. अमेरिका, मि. वर्ल्ड, मि. यूनिवर्स। हर कोई ट्रेनिंग कर रहा था, ओलिंपिंक चैंपियन, भारोत्तोलक, सबने मुझे शौकिया चैंपियन से पेशेवर चैंपियन बनाया।
यही कारण है कि मैं सेल्फ-मेड जैसी किसी थ्योरी में यकीन नहीं करता। लोग हमेशा यही कहेंगे कि ये आपने अकेले ने किया। लेकिन ये जरूरी है कि हम अपने मददगारों को न भूलें। मैं नहीं भूला। हां, मुझमें आग थी, जुनून था, जज्बा था, लेकिन बिना मदद के कुछ भी मुमकिन नहीं था। जब आप ये समझ जाएंगे कि मदद से ही आप ऊपर पहुंचे हैं, तो दूसरों की मदद करना शुरू कर देंगे। सिर्फ अपने बारे में ही मत सोचिए। दूसरों की मदद भी करिए। अर्नोल्ड श्वार्जनेगर
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