होली उत्सव के रंगीन माहौल में डूबने का समय है। गुलाल और पिचकारियों के जीवंत रंगों के साथ-साथ ठंडाई और गुजिया त्योहार को पूरा करते हैं। एक सप्ताह पहले बाजार पिचकारियों की नई किस्मों से भरे होते हैं जो बच्चों को आकर्षित करते हैं और उनके माता-पिता को उनके लिए खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। इसके अलावा होली उत्सव सभी किटी समूहों में मुख्य विषय रहता है।
इस वर्ष काफी संख्या में लोग अपने मित्रों और रिश्तेदारों के साथ होली खेलने के लिए क्लब लाॅन में एकत्रा हुए। लगभग हर आयु वर्ग के लोग रंगों के इस त्योहार का आनंद लेते देखे गए।
युवा लड़कियां डीजे पर नाच रही थीं, जिस पर होली के सभी गाने बज रहे थे। दूसरी ओर बड़े लड़के पक्के रंगों और पानी के साथ जंगली और गंदी होली खेल रहे थे। बुजुर्ग सदस्य एक-दूसरे को बधाई दे रहे थे और गले मिल रहे थे और एक-दूसरे के माथे पर चंदन या गुलाल लगा रहे थे। जबकि बच्चे अपने कंधों पर पिचकारियां टांगे और एक-दूसरे पर पानी के गुब्बारे फेंक कर खुश थे। इस साल गुलाल पिस्तौल के नए लाॅन्च के साथ अलग-अलग रंग हवा में घूम रहे थे जिससे पूरा वातावरण आनंदमय और रोमांचक हो गया।
कद्दू के साथ पूरी और आलू की सब्जी की न्यूनतम कीमत 50 रुपये प्रति प्लेट रखी गई थी। होली का त्यौहार ठंडाई के बिना अधूरा है और आम तौर पर सभी आयु वर्ग के लोगों द्वारा पसंद किया जाता है और क्लब द्वारा इसे पूरक रखा गया था।
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