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मैत्री
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मैत्री

मई की मैत्री मीटिंग में भी मैत्री के सभी रंग थे।

महामारी के बाद से समाज में बहुत से परिवर्तन आये हैं। एक यह भी कि लोगों में मेल-मुलाकात और सार्थक बातचीत बहुत कम रह गई है। अचानक कोई कहीं मिल जाय तो ऐसे बात करते हैं- जैसे कि हमारे बिना इनका जीना मुश्किल था। मगर यह सच नहीं है।

ऑनलाइन या आभासीय जीवनचर्या ने सहृदय सहजीवन को समूचे रुप से बदल दिया है। पहले बाजार में, दुकानो पर, मित्रों से मुलाकात हो जाती थी। अब अगर नमक या दूध भी मंगाना हो तो ऑनलाइन ‘‘आर्डर’’ से मंगा लेते हैं। लोगों के व्यवहारिक ‘‘जीन्स’’ मे बदलाव आ गया है। एक ऐसा वर्ग तो जरुर है जो बहुत आडम्बर के साथ वातानुकूलित वातावरण में औपचारिक लंच और ‘‘डिनर’’ करना पसंद करता है।

अनौपचारिक रुप से मिलना बतियाना, आसपास की चर्चा करना चहकना मनुष्य की बुनियादी चाहत है। जिसे लोग शनैः शनैः भूल रहे हैं।

‘मैत्री’ के मूल में यही बुनियादी असूल लेकर हम चल रहे हैं। जहाँ हम अनौपचारिक रुप से मिलते हैं और समान भाव से चर्चा करते हैं खेल खेलते हैं, मनोरंजन करते हैं।

तो ये मीटिंग भी कम्यूनिटी सेंटर में हुयी, जिसका रखरखाव काफी अच्छा हैं।

बहुत सारे गेम्स, चर्चा और चाय नाश्ते में – ढ़ोकला, चमचम और वेजिटेबल कटलेट थे।

गेम्स में ईनाम जीते- दीपिका, छाया, सुरिन्दर और अनूप ने।

अंत में तम्बोला हुआ। जिसको लोग ध्यानपूर्वक खेलते हैं। सामुदायिक भवन के लाॅन में बहुत से फोटो सेशन फिर सबने अगली मीटिंग तक के लिए विदा ली।

ई की मैत्री मीटिंग में भी मैत्राी के सभी रंग थे।

महामारी के बाद से समाज में बहुत से परिवर्तन आये हैं। एक यह भी कि लोगों में मेल-मुलाकात और सार्थक बातचीत बहुत कम रह गई है। अचानक कोई कहीं मिल जाय तो ऐसे बात करते हैं- जैसे कि हमारे बिना इनका जीना मुश्किल था। मगर यह सच नहीं है।

ऑनलाइन या आभासीय जीवनचर्या ने सहृदय सहजीवन को समूचे रुप से बदल दिया है। पहले बाजार में, दुकानो पर, मित्रों से मुलाकात हो जाती थी। अब अगर नमक या दूध भी मंगाना हो तो ऑनलाइन ‘‘आर्डर’’ से मंगा लेते हैं।

लोगों के व्यवहारिक ‘‘जीन्स’’ मे बदलाव आ गया है। एक ऐसा वर्ग तो जरुर है जो बहुत आडम्बर के साथवातानुकूलित वातावरण में औपचारिक लंच और ‘‘डिनर’’ करना पसंद करता है।

अनौपचारिक रुप से मिलना बतियाना, आसपास की चर्चा करना चहकना मनुष्य की बुनियादी चाहत है। जिसे लोग शनैः शनैः भूल रहे हैं।

‘मैत्री’ के मूल में यही बुनियादी असूल लेकर हम चल रहे हैं। जहाँ हम अनौपचारिक रुप से मिलते हैं और समान भाव से चर्चा करते हैं खेल खेलते हैं, मनोरंजन करते हैं।

तो ये मीटिंग भी कम्यूनिटी सेंटर में हुयी, जिसका रखरखाव काफी अच्छा हैं।

बहुत सारे गेम्स, चर्चा और चाय नाश्ते में – ढ़ोकला, चमचम और वेजिटेबल कटलेट थे।

गेम्स में ईनाम जीते- दीपिका, छाया, सुरिन्दर और अनूप ने।

अंत में तम्बोला हुआ। जिसको लोग ध्यानपूर्वक खेलते हैं। सामुदायिक भवन के लाॅन में बहुत से फोटो सेशन फिर सबने अगली मीटिंग तक के लिए विदा ली।

by Sarla Adhikari (B-10, 9891667762)

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