दुनिया भर में पर्यावरण को लेकर गहन चिन्ता है __ आबादी बढती गई और बढ़तीं गई जरूरतें! देश तेजी से विकसित होते चले गए। अनेक कारखानें लगे, बड़ीं-बड़ी ईमारतें बनीं, सड़के बनीं। जंगल कटे, नदियां कचरों से भरनें लगीं, उनमें पलनें वाले जीव प्रभावित होनें लगे तब जाकर आंख खुली। जंगल के पशु पक्षी कहां रहें, उनका तो स्थान ही उजाड़ दिया गया। पर्यावरण दूषित होता गया। अब यह सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। इस मुद्दे पर गहन अध्ययन अभी भी चल ही रहा है। सबसे पहले तो लोगों में जागरूकता फैलानी है।
इस विषय पर अपनी सम्वेदना प्रकट करने के लिए वल्र्ड वाइल्डलाइफ फंड (डब्ल्यू.डब्ल्यू.ऐफ.) नें 31 मार्च 2007 को पहला ”अर्थ आर“ सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) मे मनाया। इस दिन विश्व भर मे लाखों नागरिक, राजकीय और व्यवसायिक इमारतों ने समर्थन मे एक घंटे (रात 8ः30 अपना लोकल टाइम) जरूरत की लाईट को छोड़कर सारी लाईट बन्द करीं। उस साल से यह वार्षिक मनाया जाता है, मार्च के आखघ्री शनिवार को। इस वर्ष भी लोगों से अपील की गई, और ए.टी.ऐस. विलेज में भी कुछ अपार्टमेंट मे रात्रि 8ः30 से 9ः30 तक बिजली का प्रयोग रुक गया।
सोचिए इस एक घंटे में पूरे विश्व में, बिजली बंद कर कितनी उर्जा की बचत हुई होगी! उर्जा के उत्पादन में कार्बन का उत्सर्जन होता है और यही कार्बन पर्यावरण के लिए खतरा है। कार्बन का उत्सर्जन सभी प्राणी करतें हैं और पेड़ पौधे उन्हें सोख लेते हैं। लेकिन समस्या तब आती है जब सामंजस्य बिगड़ जाता है। और यही हुआ है सामंजस्य ही बिगड़ चुका है। प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन कितना कार्बन का उत्सर्जित करता है इसे ही कार्बन फुटस्टेप बोलते हैं। अपने विविध कलापों से वातावरण में कितना कार्बन घोलते हैं इस पर नजर रखनी होगी।
चीजों को बार-बार उपयोग करें, इसे ‘‘रीसाइक्लिंग’’ कहतें हैं। और भी अनेक उपाय है, जिससे हम वातावरण को साफ रखनें में मदद कर सकतें हैं। अपनें आसपास पेंड़ जरूर लगाएं। विश्व में ‘‘प्लास्टिक मनी’’ का चलन बढ़ रहा है, ताकि कागज के इस्तेमाल को कम किया जा सके, पेड़ों को बचाया जा सके। अब समय आ चुका है, बहुत गमभीरता से अमल करनें का!
द्वारा मीना शर्मा (1854, ऐ.टी.एस. विलेजय 8076456439)
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