इस समय आप ये लेख पढ़ रहें हैं, जो मैंने हिंदी में लिखा है। धन्यवाद! क्योंकि, आपनें हिंदी के प्रति अपनीं रूचि जताई। हिंदी हमारी मातृ भाषा है। 14 सितम्बर प्रति वर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता। आईए, हिन्दी के कुछ तथ्य जानें।
हिन्दी 150 देशों में बोली जाती, 200 विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती है। भारत के पड़ोसी देशों में भी हिंदी का प्रचलन है। दुनियां के अन्य कई देशों में लोग हिन्दी बोलतें और समझते हैं। 1949 में भारत की संविधान सभा में हिंदी को देश की राजभाषा के रूप में मान्यता मिली। भाषा के प्रचार प्रसार के लिए 14 सितम्बर हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जानें लगा।
हिंदी भाषा में काफी बदलाव आएं हैं। आज जो हिंदी हम बोलतें है, उसका जन्म 1900 वी शताब्दी में हुआ। हिंदी भाषा को असली पहचान 1450 के बाद तब मिली जब गुरू नानक देव, रैदास, सूरदास, कबीर नें हिंदी में कविताएं लिखनीं शुरू की। इसी दौरान सूरदास की सूरसागर, कबार की बानी लोकप्रिय हुईं। तुलसीदास द्वारा 1633 में रचित, रामचरित्रा मानस, बहुत लोकप्रिय हुईं। आजकल जो हिंदी हम बोलतें हैं उसमें उर्दू, फारसी, पर्शियन, अरबी, इंगलिश, सभी भाषाओं के शब्द मिले जुलें हैं। हिंदी साहित्य बहुत समृद्ध है। पहली शताब्दी ईसा पूर्व में कालीदास नें महाकाव्य ‘‘अभिज्ञान शाकुंतलम’’ की रचना की जिसका अनुवाद यूरोपीयन भाषाओं में भी हुआ है।
एक दिलचस्प बात है, लेकिन बिल्कुल सही, हमारे सिनेमा उद्योग का हिंदी प्रचार प्रसार में बहुत बड़ा योगदान है।
हमें अपनी भाषा से प्रेम करना चाहिए। अन्य भाषाएं भी सीखना आज की जरूरत बन चुकी है, लेकिन अपनी भाषा को हेय दृष्टि से देखना ठीक नहीं। आप खुद बाजार में, अपनें घर में, काम करनें वाले व्यक्तियों से हिंदी में बात करतें हैय अगर आप हिंदी ना जानतें होते तो आपको मुश्किल होती, लेकिन फिर भी अपनीं भाषा बोलनें में लज्जा क्यों आती है। सिर्फ वर्ष में एक दिन, एक आयोजन कर, लोगों को आमंत्रित कर, हिंदी के प्रति प्रेम का दिखावा कर, हम हिंदी का क्या सम्मान कर रहें हैं?
जरूरत है प्रतिदिन हिंदी दिवस मनानें की, अपनीं भाषा पर गौरान्वित होनें की, जिसका साहित्य समृद्ध है। अनेक देशों के छात्रा इस पर शोध करतें हैं। हम सब हिंदी को आगे बढ़ानें में प्रयत्न करें और उसका प्रयोग करें। बच्चों को भी हिन्दी सीखनें के लिए प्रोत्साहित करें। इस तरह ही हिंदी फलेगी फूलेगी।
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