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सैक्टर 50 के अस्पताल के बाहर बदहाल
Sector 50 A-E

सैक्टर 50 के अस्पताल के बाहर बदहाल

सैक्टर 50 में नियो अस्पताल का होना हम सब के लिए एक सुविधा है। सैक्टर के वासी होने के कारण यहां के लोगों के बीमार पड़ने पर अस्पताल आना लाजिमी है, क्योंकि सबसे नजदीकी यही पड़ता है। मैं स्वयं भी बीमार होने पर गयी हूं। यूं तो अस्पताल में बीमारी का इलाज ठीक किया जाता है कृ डाक्टर तथा स्टाफ चुस्त दुरुस्त हैं। पर अस्पताल के बाहर की सड़क तथा सड़क के दोनों तरफ गंदगी को देखकर दिल खराब हो गया। सड़क के दोनों तरफ थोड़ी सी आगे जाकर एक गेट है। गेट के नजदीक में अस्पताल की कंस्ट्रक्शन चल रही है। उसके मलबे का ढेर और उसी के ऊपर जमा कूड़ा, न जाने कब से पड़ा सड़ रहा है। न तो अस्पताल प्रशासन वाले यह सब देखते हैं, न ही कूड़ा उठाने वाले। यही पर काम करने वाले एक गार्ड, कौशल, ने कहा कि वह बहुत बार कह चुके हैं पर कोई नहीं सुनता। एक बार कूड़ा डालने के बाद फिर से ढेर जमा हो जाता है।

यहीं साईड में खाने-पीने की दुकानें हैं। वो तो ठीक है कृ मरीजों के साथ आये अटेंडेंट के खाने पीने का इंतजाम होना भी जरूरी है। पर साफ-सफाई न होने पर दूषित वातावरण में बैठ कर खाना क्या बीमारियों को दावत देने जैसा नहीं है? अस्पताल प्रशासन को नागरिकों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए अस्पताल के अंदर का ही नहीं बाहर की साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए, ताकि मरीजों के लिए खाना हानिकारक न हों।

गेट से बाहर एकदम साथ में ही बरौला गांव है। इसकी सड़क, जो अस्पताल की ओर आती है, टूटी-फूटी पड़ी है तथा दोनों ओर कूड़े के ढेर हैं। इसके दोनों ओर दुकानें हैं व खाने पीने के ढेले। ये तो ठीक है कि ये लोग अपनी कमाई इन्हीं से करेंगे। पर यहीं की एक दुकान के मालिक, सुरेन्द्र, का कहना है कि कूड़े के ढेर की बार-बार कंप्लेंट करने पर भी कोई नहीं सुनता। व उल्टे उन्हीं को आकर धमकाते हैं। कहने को कह देते हैं कि कूड़े वाले हड़ताल पर गए हैं। अब आप ही बताइए कि मरीजों की हालत ठीक होगी या खराब?

किसी मरीज को लेकर टूटी-फूटी सड़क से गाड़ी में लेकर आएंगे तो वह कितने झटके लगता हुआ गाड़ी आएगी। नौएडा अथोरिटी को चाहिए कि इस गांव की सड़कों की हालत तथा साफ-सफाई पर ध्यान दें।

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