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Sector 75 Noida

सेक्टर 61 में नही रही मतदाताओं की भीड़

हाल ही में लोक सभा चुनाव संपन्न हुए। हमारे सेक्टर 61 में भी कुछ समय पहले मतदान हुआ। कई लोगों ने मतदान किया और अपने अधिकार का उपयोग किया परन्तु कई लोग नदारत रहे। घर की खिड़कियों पर पर्दे लगाने हो तो ना जाने हम कितने कपड़े देख डालते हैं कभी रंग पसंद नहीं आता तो कभी कपड़े की गुणवत्ता, रसोई में इस्तेमाल होने वाले सामान के ब्रांड भी हम बहुत सावधानीपूर्वक चुनते है, बच्चे का दाखलिा कराना हो तो स्कूल का चुनाव बहुत जाँच-पड़ताल करके करते है, बीमारी हो जाए तो किस डाक्टर को दिखाना है इसका भी काफी सोच-विचार करके निर्णय लेते हैं और जो बेस्ट लगे उसी डाक्टर को चुनते है, मतलब ये है कि हम अपने जीवन मे हर जरूरत की चीज का चुनाव करते हुए सावधानी बरतते है। लेकिन जब हमें अपने देश के भाग्य विधाता को चुनना था तो हम में से 50ः लोग कहाँ चले गए उस चुनाव के दिन!

क्या वो चुनाव घर के परदों या अन्य सामान के चुनाव के बराबर भी महत्व ना रखता था आपके लिए? जिन लोगों की बनाई नीतियों का असर हम सबके दैनिक जीवन के साथ देश की सुरक्षा व उन्नति को प्रभावित करेगा उनका चुनाव क्या हमें सावधानीपूर्वक नहीं करना चाहिए था?

हो सकता है 15-20ः लोग किसी आपातकालीन स्थिति, बीमारी, नौकरी, पढ़ाई के सिलसिले में मतदान करने में असमर्थ रहे हो लेकिन 25-30ः लोग क्यूँ नही गए 26 अप्रैल को मतदान करने?

क्या बात है गाँवों मे शहरों के मुकाबले वोटः हमेशा बेहतर रहता है लेकिन वही ये शहरी पढ़-लिखा तबका देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पाता!

वो चुनाव जो आपके लिए, परिवार के लिए, आपके समाज के लिए और आपके देश के लिए करना जरूरी था उस चुनाव में आपने हिस्सा ही नहीं लिया! मतदान को लेकर ये उदासीनता क्यूँ मतदाताओं?

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