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सुलग-सुलग जाए मन…
Sector 40 & 41 Noida

सुलग-सुलग जाए मन…

‘‘रिम झिम गिरे सावन सुलग -सुलग जाऐ मन, भीगे आज इस मौसम मे लगी कैसी ये अगन…’’
जिस तरह से कवि की कविता के विभिन्न अर्थ निकलते हैं हमारी फिल्मों के गानो को भी विभिन्न तात्पर्य निकाले जा सकतें हैं। अगर आप इस लेख के साथ सलंग्न video देखेगें तो अर्थ समझ आयेगा। रिम झिम गिरता पानी सावन का नही यहाँ फटे पाइप का है। जहाँ लोगों के पास साफ पीने का पानी नही है, वहाँ पानी की इतनी निमर्मता से बरबादी देखकर किसी भी जागरूक नागरिक का मन सुलग ही जाऐगा।

बिजली के नये खंभे लगे है – विडंबना यह है कि पुराने भी अपने स्थान पर हैं। सुबह शाम जब पानी की सप्लाई होती है तो पानी गिरता है। अब भगवान न करे किसी दिन पानी और बिजली का मिलन हो गया तो क्या होगा। हे केशव! इस दुर्घटना से बचा लो! जी हाँ, जब भी कोई विपदा आती है तो मनुष्य भगवान का याद करता हैै।

परन्तु इस समय बात हो रही है हमारे ही सैक्टर(41) के निवासी केशव की! तो सूचना उन तक पँहुचाई गई और उन्होंने कार्यवाही भी की।

थोडा आग्रह निवासियों से है कि पानी को बरबाद न करें, यदि आप के आसपास कँही पानी का पाइप फट गया है तो इसकी सूचना संबधित विभाग को दिजिये। आजकल online शिकायत दर्ज करना या phone number ढूढ़ँना मुश्किल काम नही है।

Noida ऑथोरिटी से भी आशा है कि जिस तरह से शहर के सौन्दर्यकरण का काम कर्मठता से हो रहा है वैसे ही कुछ सिविल वर्क पर भी गौर करें।

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