रचिता अपनी बेटी के इलाज में उलझी, पैसे का लेन-देन वह अक्सर अपनी मित्रा से फोन पर डिस्कस करती रहती, सैक्टर 50 में ही रहती। सारा पैसे का लेन-देन, क्रेडिट कार्ड, फोन से चलताय तभी उसे एक दिन बैंक से किसी का काल आता है, वह समझ नहीं पाती कि यह फर्जी काल है, वह अपनी डिटेल्स शेयर कर देती है, बाद में पैसे का नुकसान होने पर पछताती रह जाती है। ऐसे ही सैक्टर के निमित्त, एक एकाउंटेंट है, कई कम्पनियों के लिए काम करता है। सारा काम डिलिंग कंप्यूटर पर रहती है। सावधानी बरतते हुए भी वह हैरान जब उसे लगा उसका महत्व पूर्ण डाटा चोरी हो रहा है।
ऐसी घटनाएं साइबर क्राइम में आती है। साइबर अपराध कंप्यूटर, डिजिटल डिवाइस, फोन आदि से छेड़छाड़ किए जाने वाले अपराधों के तहत आते हैं। जिसमें मैलवेयर, रैनसमवेयर, पहचान की चोरी, पैसे का घपला, व पोर्नोग्राफी के मामले भी आते हैं। यह एक व्यक्ति के द्वारा व संगठित लोगों के द्वारा की जाती है।
इसमें अनिधरिकृत रूप से आपके कंप्यूटर पर हैकिंग से कब्जा कर लिया जाता है वह महत्वपूर्ण डाटा हासिल किया जाता है। जिसके द्वारा आपको नुकसान पहुंचाया जाता है। यह व्यक्तिगत कारणों, व राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों को भी नुकसान पहुंचाता है। गोपनीय वार्ता तथा पैसों के लेन-देन, क्रेडिट कार्ड से पैसा चुराना, जैसे अपराध आते हैं।
अगर आप किसी संगठन के साथ जुड़े हैं तो यह आपकी जानकारी निकाल कर उसे अपने फायदे के अनुसार तोड़-मरोड़ कर इस्तेमाल करते हैं तथा आपको नुकसान पहुंचाया जाता है। कई बार पकड़ में न आने पर पैसों में काफी धांधली हो जाती है। इसमें फीशिंग, हैकिंग, आन लाइन
धोखा धडी, DOS यानि सेवा से इंकार करना, फोन पर कब्जा, आदि आता है।
साइबर अपराध के फैले मकड़जाल को किस प्रकार तोड़ा जाए, यह एक समस्या बन गया है। निजात पाने के लिए कानून बन रहे हैं, व लागू किये जा रहे। साइबर एक्ट भी बनाया गया है, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी 2000 के अंतर्गत आता है, यह ई-कामर्स व इन अपराधिक तत्वों से निपटने में सहायक होता है। इसके अलावा कई धाराएं, जैसे 66, 67, 71, 72F भी है जो लोगों को सरंक्षण देने के काम करती है।
इन सबके बावजूद आपको स्वयं भी सजग रहना होगा, अपना फोन तथा कंप्यूटर का पासवर्ड मोटा सा रखिए व बदलते रहे। किसी को भी अपनी बैंकिंग जानकारी शेयर न करें। फोन पर व क्रेडिट कार्ड पर चैक रखें।
जल्दबाजी करने से बचें। सबसे बड़ी चीज तुंरत एक्शन ले अपने समीप के साइबर सेल में जाएं और उचित सहायता ले – नं. 1930 पर अपनी शिकायत दर्ज कर, कानून की मदद ले। ये अपराधी कोई भौतिक अपराधी नहीं होते, पर खतरनाक उसी स्तर के होते हैं जो अपने फायदे के लिए इन साफ्टवेयर, तथा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के जरिए आपको अपने इस मकड़जाल में फंसा सकते हैं। पर थोड़ी सी जानकारी तथा बचाव से आप इनके जाल में फंसने से स्वयं को बचा सकते हैं। समय रहते।
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