किसी के खोने का दर्द शब्दों में व्यक्त करना आसान नही होता है। किसी प्रिय व्यक्ति का हमारी जिन्दगी से जाना बेहद दुखदायी होता है। उनके साथ बिताए हुए दो पल भी हम भूल नही पाते उनके मुख पर मन्द मुस्कान और शान स्वभाव आखों के सामने उजागर हो उठता है। कितना सरल है ये कह देना जो आता है वो जाता है, संसार प्रकृति के नियमों की आधीन है। परन्तु सदा एक प्रश्न मेरे मन में बना रहता है….
ये कैसा विधि का विधान है
जो हम समझ नही पातें है
जो दिल के करीब होते है
वो छोड़ कर क्यूँ चले जाते हैं?
पूज्यनीय सुमित्रा देवी जी की श्रध्दांजलि सभा में नीरजा सिंघल द्वारा पूरे परिवार की हस्ती खेलती फुलवारी को जिस प्रकार प्रस्तुत किया, वो उनकी माता जी ही आशिर्वाद का परिणाम है।
पीढ़ी दर पीढ़ी फलते फूलते परिवार की धरोहर सौंप कर अन्त में सोने की सीढ़ी पर सवार होकर इन दिवंगत आत्मा ने स्वर्ग लोक प्रस्थान किया। उनके बताए मार्ग पर चलना ही उनका सच्चा सम्मान और भावपूर्ण श्रध्दांजलि है।
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