दिसम्बर की हल्की ठंडक, गुनगुनाती धूप, खुशनुमा सुबह, बहती बयार, सखियों का साथ, आशियाने से दूर एक दिन, हरियाली की बहार, चिड़ियों की चहचहाहट, सखियों की खिलखिलाहट, गीतो की गुनगुनाहट, किसके मन को नहीं भायेगा, एक ऐसा दिन तब गर्हसथी की रोज की दिनचर्या, वयस्तता, आपा धापी से दूर खुले आसमान तले, अल्हड़, उन्मुक्त मनचाहा मनोरंजन को और खुशियों को जमीन पर उतार लाये। दिसम्बर माह हर वर्ष गुलमोहर लेडीज
कल्ब के लिए पिकनिक के लिए नियत होता है। इस साल 18 दिसम्बर को पिकनिक का दिन निश्चित हुआ।
सभी सदस्या बड़ी बेसब्री से इस दिन का इंतजार कर रही थी। लेडीज कल्ब प्रबंधन कमेटी ने लोहागढ़ जाने का प्रस्ताव रखा। सबने पंसद किया। अन्तः निर्धारित दिन आ गया। प्रबंधन कमेटी ने सूचित किया की सभी सदस्य 18 तारीख को 10.00 बजे प्रातकाल गुलमोहर कल्ब मे पंहुच जाये। जहाँ से बस उन्हें पिकनिक स्थल (लोहागढ़) ले जाएगी। 18 तारीख को नियत समय पर विभिन्न आकर्षक परिधानों में सजी धजी सभी पूरे दिन की आउटिंग के लिए तैयार हो कर कल्ब पहुंचने लगी। सभी अपना स्थान ग्रहण करने लगी। बस चलते ही प्रेसिडेंट सीमा मैनी ने गर्म गर्म चाय से सब का स्वागत किया। सबको टाफी भी दी। शीला बंसल ने सबको समोसे वितरण किये। वे अपने साथ लाई थी। सबने नाश्ता करते ही अंताक्षरी खेलने लग गई। सब पुराने, नये गाने गा रही थी। सभी इतनी माहिर थी की हारने का नाम ही नहीं ले रही थी। बस मे फोटो खिंचवाए। गाने के दौर खत्म होने पर वीना शर्मा ने अपनी मधूर आवाज मे बहुत सारे गाने गाए। मस्ती के माहौल में सबको अपना बच्चपन याद आ गया। मस्ती करते हुए सब अपने गंतव्य स्थान पर पंहुच गए।
बस से उतरते ही सबने गुरूप फोटो खिंचवाया। वहां के स्टाफ ने हमारा बाजे से स्वागत किया। कघ्ई जगह पीने के स्टाल लगे थे। चाय, काफी, नीम्बू पानी, और छाछ सबने सब चिजों का स्वाद लिया। थोड़ी दूरी पर गर्मागर्म नाश्ता हमारा इंतजार कर रहा था। मीठे दूध मे जलेबी, केक, और भी बहुत सारी चिजे मिल रही थी। आगे जाकर झूले वगैरह थे। कई तरह के झूले मे सभी सदस्यों ने उनका आनन्द लिया। भूत घर मे हम सब गए वहां बहुत अंधेरा था। काफी रोचक था। कई तो रस्सी पर भी चली। ऊट की सवारी की। टैक्टर मे भी बैठे। बैलगाड़ी मे बैठकर हमने खेत का चक्कर लगाया। वही पर हमने गाजर, मूली, सबने खाई। सबको अपना बच्चपन याद आ गया। ऐसा लग रहा था सभी छोटी छोटी बालिकाए है। सच है हर वयक्ति मे एक छोटा बालक होता है। हर कोई अपने बच्चपन की यादों को संजोकर रखता है। मौका मिलते ही सजीव हो जाता है।
अल्का शर्मा ने पिकनिक आयोजन की सब मेजबान का थन्यवाद किया। दोपहर मे खाने का प्रबंध अच्छा था। बाजरे की रोटी, मक्का की रोटी सरसों का साग, चटनी मक्खन, गुड़, बाजरे की खिचड़ी सब उतम था। सबको गर्म गर्म खाना दिया जा रहा था। चलते समय चाय नाश्ता था। लौटने का समय हो गया था। सबने बस मे अपना स्थान ग्रहण किया। बस मे संतरा व मूंगफली के पैकेट सबको दिया गया। इस प्रकार एक मनोरंजन दिन का सुखद अन्त हुआ। प्रबंधन कमेटी की सदस्याओ ने जिस प्रकार से पिकनिक आयोजन सुचारू रुप से किया, इसके लिए उनकी जितनी भी प्रशंशा की जाए कम है। उन सबका तहे दिल से धन्यवाद।

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