लेडिज फोरम की जून माह की मीटिंग AVI क्लब में संपन्न हुई। जेठ का महीना, मानो आग उगलता हुआ सूरज, पर सखियों को रोक नहीं पाया। अच्छी संख्या में सखियों ने भाग लिया। सबसे मिलने का लोभ खींच लाता है।
हमारे लेडिज फोरम की लोकप्रिय सदस्या इंदु बाला अग्रवाल के आकस्मिक निधन पर सबने मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इंदु जी बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं। सिलाई कढ़ाई बुनाई गीत संगीत नृत्य उंतंजींद में पारंगत थीं, हम सब अक्सर मीटिंग में भी डिजाइनदार स्वेटर बुनते हुए देखते थे।
जून के महीने में स्कूल की छुट्टियों में नानी के घर जाना आज भी याद है हम सबको, किस तरह मस्ती किया करते थे। सीमित साधन हुआ करते थे परंतु आनंद उमंग खुशियां असीमित होती थीं। और ऊपर से आम का मौसम, खुशियां चैगुनी कर देता था। ट्रेन में बैठ कर घूमने जाया करते थे। आज उन्हीं सब यादों को ताजा करने का मन बनाया। थीम रखी Mango Festival.
साखियों से कहा वे अपनी पसंद का आम का कोई भी शैड पहन कर आयें और मजे की बात सबने थीम के अनुरूप रंगों का चुनाव किया, और तैय्यार होकर आयीं। कच्ची अंबिया या कैरी का नाम लेते ही आ गया ना मुह में पानी। नमक लाल मिर्च लगी अंबिया सबको खिलाई। दशहरी और लंगड़ा आम से सजा टोकरा और उस पर ताज।
ताज इसलिए कि आम फलों का राजा है तो ताज पहनाना तो बनता है। आम के साथ सेल्फी भी सबने ली। Nagmaa ने भी हर लम्हे की वीडियो बनाई।
अब बारी थी ट्रेन तंबोला गेम की, हाँ आपने ठीक सुना, ट्रेन पर आधारित तंबोला खिलाया, जिसमें गोवा, शिमला व जयपुर तक का सफर सबने किया। Punctuality को भी आम के साथ जोड़ दिया, जिसकी पर्ची पर आम लिखा हुआ था उसे विजेता घोषित किया। सहर भाटिया व वीना गर्ग ने ईनाम पाया। शालिनी जावा ने अपने शायराना अंदाज में सबको खूब हंसाया। Simarjeet ने भी अपनी स्वरचित छोटी सी कविता सुनायी, उनके इस प्रयास की सभी ने सराहना की। कमाल की बात कि Divaas जो हमारी सखियों का ग्रुप है, उसे आम की ही तरह मीठा और रसीला बताया।
बिजली और पानी की ज्वलंत समस्या के बाद आज पेड़ों के संरक्षण पर हमने चर्चा की। हमारे हरे भरे जंगल धीरे धीरे कंक्रीट के जंगल में परिवर्तित हो रहे हैं और विडंबना यह कि इसके दुष्परिणामों से हम अनजान बने हुए हैं। प्रचंड गर्मी, घटता जलस्तर, घटती आक्सीजन, घटते वन्य जीव आदि आदि। हमे जाग्रत होना होगा। बरसात के पहले पेड़ लगाये और उसकी देखभाल की जिम्मेदारी भी उठाएँ।
एक कविता के माध्यम से पक्षियों की करुण कथा कही। क्या हमे इस बात का एहसास भी है कि हमने अपने आशियाने बनाने के लिए उन्हें वीरान कर दिया। पेड़ काट दिए तो वो घोंसला किस पर बनाये। केवल दाना पानी रखने से कर्तव्य की इतिश्री नहीं हो जाती। हमें उन्हें फिर बसाना होगा तभी उनकी चहचहाहट सुन पाएंगे।
अंत मे पक्षी कहता है कि मन करता है बिजली के तारों के करंट से आत्महत्या कर लूँ, अपने लिए ना सही बच्चों के लिए तो घोंसला बनाना होगा। हृदय को उद्वेलित करती हुई पंक्तिया हैं। सखियों, हम सौभाग्यशाली हैं कि नोएडा के हरे भरे सेक्टर 39 में रह रहे हैं।
जब भी मौका मिले पेड़ कटने से बचाएं और पेड़ अवश्य लगायें। पर्यावरण संरक्षण के लिए अपनी नैतिक जिम्मेदारी को समझना होगा। स्नैक्स, लंच व आइस क्रीम के साथ आम, बस मजा ही आ गया।
हरियाली तीज के साथ आगामी मीटिंग रहेगी। जल्दी ही विस्तृत सूचना दी जाएगी।
आपकी अपनी नीरजा
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