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राम मंदिर में शिव पुराण कथा
Panchshila Park

राम मंदिर में शिव पुराण कथा

मानव जीवन का लक्ष्य अपनी आत्मा का कल्याण करना है यह काम कोई और नहीं कर सकता स्वयं ही करना पड़ेगा। संसार में भगवान जैसा कोई हितैषी नहीं है अतः अपने अधीन सभी पदार्थों को भगवान को समर्पित कर देना चाहिए। भगवान भोले नाथ वास्तव में ही बहुत भोले हैं। वो तो भक्तों के सभी पाप संताप मिटाने वाले हैं उन्हें कोई एक लोटा जल व फूल श्रृद्धा से चढ़ा देते हैं तो इन की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है।

श्रावण (अधिक मास) में हम सबको शिव महापुराण 2 बार सुनने को सुअवसर प्राप्त हुआ एक बार हमने स्वयं ही पढ़ा और दूसरी बार आचार्य शुभदेव जी कुरूक्षेत्रा वालों के मुखारविंद से सुना। उन्होंने इस कथा का विश्लेषण बड़े ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया इसमें विशेष आकर्षण ये रहा कि उन्होंने भजनों पर समय व्यर्थ न करके हमें जितना हो सका कथा का ही व्याख्यान किया। क्या समापन के समय मार्कन्डेय जी की कथा बहुत ही सुन्दर ढंग से सुनाई।

10 अगस्त को बर्फानी बाबा अमरनाथ जी की बर्फ की झांकी का विशेष आकर्षण रहा जिसकी सभी दर्शनाथियों ने खूब प्रशंसा की। हमारे मदिंर में एक दूसरे की होड़ रही प्रशाद बांटने के लिए नित्य प्रतिदिन भिन्न-भिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों का वितरण हुआ। बड़ी श्रृद्धा के साथ हमारी सभी बहनों ने तन मन धन से सामथ्यनुस सहयोग किया जिससे यह आयोजन भली भांति सुचारू रूप से संपन्न हुआ। कथा समापन के दिन भी भरपूर प्रशाद वितरण हुआ। 16 अगस्त को हवन के द्वारा इस कथा को पूर्ण विराम दिया गया। प्रभु से यही प्रार्थना है कि सबको इतनी भक्ति व शक्ति दे कि उनके उत्सव निर्विघ्न पूरे हो जायें।

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