हिन्दू धर्म में प्रेम और समर्पण के पवित्रा त्योहार में से एक राधा अष्टमी का विशेष स्थान है। राधा अष्टमी हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है राधा जी को सर्वोच्च प्रेम की मूर्ति माना जाता है उनका असीम और निस्वार्थ प्रेम भक्तों को जीवन में सच्चे प्रेम का पाठ पढ़ाता है। उनकी भक्ति वात्सल्य और त्याग से भरी है जो भक्तों को मोक्ष की राह दिखाती है। राधा अष्टमी के दिन उनकी पूजा करने से प्रेम सौभाग्य और आनंद की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों में भी श्री राधा को कृष्ण की शाश्वत शक्ति स्वरूपा एवं प्राणों की अधिष्ठात्राी देवी के रूप में माना गया है राधा जी की पूजा के बिना श्री कृष्ण जी की पूजा अधूरी मानी जाती है तभी तो कहते हैं ‘राधे-राधे जपो चले आएंगे बिहारी’ अतः समस्त वैष्णवो को चाहिए कि वह भगवती श्री राधा जी की पूजा और अर्चना अवश्य करें श्री राधा भगवान श्री कृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्राी देवी हैं इसलिए भगवान इनके अधीन रहते हैं।यह संपूर्ण कामनाओं का राधन करती हैं इसलिए इन्हें राधा कहा गया है तभी तो कहते हैं ‘राधा आप बड़भागिनी कौन तपस्या कीन, तीन लोक के तारणहार है आपके आधीन। भगवान कृष्ण की प्रिया राधा जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला यह पर्व इस वर्ष 11 सितंबर को एलिट होम्स मंदिर में बहुत धूमधाम से मनाया गया। मंदिर परिसर में महिला भक्तों के साथ श्री कृष्ण और राधा जी के भजनों के द्वारा प्रस्तुति दी गई। बच्चों ने श्री राधा कृष्ण बनकर भजनों पर नृत्य किया एवं वरिष्ठ महिला भक्तों ने नृत्य और गायन के द्वारा बहुत ही सुंदर प्रस्तुति दी, वातावरण पूरी तरह से भक्ति रस से सराबोर हो गया। हर किसी के पैर नृत्य के लिए थिरक रहे थे। नीला रंग राधा जी को अत्यंत प्रिय है क्योंकि श्याम नीलवण’ है इसलिए सभी भक्तजन नीले रंग के परिधान में आए , तत्पश्चात आरती और प्रसाद वितरण हुआ। इसके साथ ही कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
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