यमुना किनारे की गईं श्री कृष्ण की लीलाएं सब जानते हैं। जब मैं विशटाउन में नया-नया आया था, तो मैं और मेरे मित्रा विमल जी पैदल असगर गाँव से हो कर यमुना का आनंद लेने गए थे। हमारी लीलाएं भी देखते ही बनती थी।
ऊबड़खाबड़ रास्ते से जब यमुना तीरे पहुंचे, तो वहाँ कई टीले थे। चढ़ें न चढ़ें? मैं एक पर चढ़ गया पर वहीं अटक गया। अभिमन्यु की तरह उतरने का कोई तरीका नहीं सूझ रहा था। यमुना वेग से बह रही थी। बचपन याद आया- जब हम ओखला के पानी में डुबकी मारा करते थे। इतनी दूरी तो बस के पकड़ने में हो जाती थी। वक्त-वक्त की बात है। बकौल शायर के ‘आज उतनी भी मयस्सर नहीं मैखाने में, जितनी छोड़ दिया करते थे पैमाने में!’
यमुनोत्राी से प्रयागराज तक, कल-कल बहती यमुना के ‘तीरे’ कई नगर बसे। मथुरा कृष्ण की जन्मभूमि है। शाह जहाँ ने इसके किनारे आगरा और दिल्ली में कई गुल खिलाए। बेगानी जमीन पर बेगाने कारीगरों ने देसी मान सिंह के रिजाॅर्ट को नेस्तनाबूद कर ताज महल बनवाया। लाल किले को इसके किनारे एक पत्थरों के टेंट के रूप में बनवायाय वैसा ही एक पत्थरों का शहर बनवाया।
जमाना था इसका जल पीने, तैरने लायक था। नावें इतराती फिरती थी इसमें। धोबी इसके घाट पर हमारे कपड़े पटकते थे धोने के लिए। सूफी कवियों ने इसकी सुंदरता पर गीत लिखे।
अब पास जाते डर लगता है। छठ पर इसके कैमिकल्स-भरे पानी से आचमन करती स्त्रियों ने गड्ढे खोद कर पानी भरना और उसमें पूजा करने का विकल्प अपनाया। राज्य सरकारें इसकी सफाई के नाम पर दशकों से खजाने बटोरती रही हैंय बस वो यमुना तक नहीं पहुंचता।
कभी तो इसके स्वच्छ पानी को पीने, उसमें नहाने मिलेगा। कौन जाने, कोई प्रतिमा बेदी इसके किनारे भी दौड़े और मशहूर हो जाये।
Popular Stories
Football Tournament @Princeton
More Than a Festival: The Art and Power of Durga Puja
Personality of the Month- ‘Dr Usha Mediratta’
Stray Cattle Menace In Front of Galleria
The Chronicles of Malibu Towne: A Mosquito’s Tale
“Senior Living Is Not An Old Age Home” say Mr & Mrs Bose
Recent Stories from Nearby
- Araya Samaj Hauz Khas New Delhi December 27, 2024
- AGM At Adhya Jha December 27, 2024
- Petty Thefts on the Rise December 27, 2024
- Water Sprinklers in SDA December 27, 2024
- Town Hall Meeting With Parmila Tokas December 27, 2024