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मानसून का तोहफा, फैली हरियाली
Sector 50 A-E

मानसून का तोहफा, फैली हरियाली

कल सैक्टर 50 के उद्यान में सैर करने गयी; जाकर मन प्रसन्न हो गया। मानसून आने से जो पौधों व पेड़ों पर बहार आई हुई है, यानी हरियाली चारों ओर फैली हुई, आंखों को ठंडक पहुंचाती है। ये तो सच है कि ये हरियाली आंखों के आकर्षण का केंद्र बन जाती है।

आंखों के खुले दरवाजों से हमारे अंदर उतरने को तैयार मानसूनी हरियाली हमें अपनी ओर बुलाने का प्रयत्न करती है। मानसून एक तरह की मौसमी हवाएं हैं, जो धरती के स्थल तथा जल के असमान वितरण के कारण होती हैं।

यः जब गर्मी के बोझ को सहन करती धरती गर्मी को वहन करने में खुद को असमर्थ हो जाती है, तब मानसूनी हवाएं चलतीं है तथा दग्ध धरती पर जल की ये बूंदें बरस कर धरती को निहाल करती है। और यही अमृत पौधों पर बरस कर उनकी हरीतिमा को बढ़ाता है।

यद्यपि बारिश से मन-मिजाज खुशी प्रदान करता है। व ये हरियाली जहां एक ओर कृषि के लिए अच्छी होती है वहीं दूसरी ओर यह कई बार नुकसान का कारण भी बनती है। जहां एक तरफ फसलों को नमी मिलती है वहीं ज्यादा पानी फसलों को खराब भी कर देता है।

जगह-जगह बाढ़ आकर लोगों के लिए परेशानी का सबब बनती है।

हरियाली से पौधों व पेड़ों पर निखार आ जाता है। धुली-धुली ये पत्तियाँ, हमें इन को छूने से नहीं रोक पातीं। नये-नये पत्तों का निकलना इसी हरियाली की देन है। भगवान शिव तथा पार्वती जी के मिलन का सावन मास भी इस हरे भरे मौसम की ही देन है। राधा कृष्ण का झूले झुलाने का त्योहार हरियाली तीज भी इसी सावन में आता है। फिर उसके बाद तो जैसे त्योहारों की झड़ी लग जाती है। और हमारे जीवन की एकरसता का समाप्त होना, ये सब इस हरियाली वाले सावनी मौसम में ही संभव होता है।

पर सैकटर-50 के पार्कों में कुछ जगह ऐसी है जिन्हें देख रेखा की सख्त जरूरत है। जहां गले पतों का ढेर है तथा पार्कों को साफ करना अनिवार्य है। ताकि प्रकृति के इस तोहफे को संभाल कर रखा जा सके। और ये हरियाली लंबे समय तक हमें यूं ही लुभाती हुई पार्क में आने के लिए आमंत्रित करती रहे।

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