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मातृ दिवस
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मातृ दिवस

बच्चे के मुख से निकलने वाली पहली ध्वनि ‘म’ ही होती है जो मां के महत्व की परिचायक है। म वर्ण हर भाषा में मां के लिए प्रयोग किया जाता है। अंग्रेजी में मदर, मम्मी, माॅम, उर्दू में अम्मी, अरबी में मादर, संस्कृत में मातृ, हिंदी में मां, माता अम्मा, भोजपुरी में माई, ब्रजभाषा में मैया, अर्थात हर भाषा में म वर्ण मां के लिए प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह ध्वनि अन्तः करण से निकलती है।

वेलिंग्टन की महिलाएं भला इस मौके को हाथ से कैसे जाने देती। आनन फानन में प्रोग्राम बन गया और एकत्रित हो गई इस उत्सव को जीने के लिए। मातृ दिवस पर आयोजित इस प्रोग्राम में सभी ने अपने उद्गार संक्षेप में व्यक्त किए।

शशि ने कहा मां के बारे में बोलने के लिए शब्द कम हैं। रेणु जैन के अनुसार मां का प्यार दुनिया के किसी भी प्यार से नौ महीने ज्यादा है। स्मिता ने मां के पल्लू की उपयोगिता बताई जो बच्चे के मुख पोंछने, रक्षा के लिए उसे छिपाने, उसे शीत और धूप से बचाने के काम आता है। कुसुम ने कहा क्या मांगे वो बेटा जिसने मां की ममता पाई है। मीरा के अनुसार मां को अपने कष्ट से अधिक संतान का कष्ट दुखी करता है। अन्त में सभी ने समवेत स्वरों में गाया ‘तू कितनी अच्छी है, तू कितनी भोली है, प्यारी प्यारी है ओ मां’।

मां के गुणगान के बाद बारी थी मनोरंजन की और उसके बाद भोजन की। बड़ा सा केक सबकी प्रतीक्षा कर रहा था,सब ने मिलकर उसे काटा और फिर भोज का आनंद लिया।

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