वसुधैव कुटुंबकम्
यह सनातन धर्म की मूलभूत विचारधारा है जिसका अर्थ है संपूर्ण विश्व एक परिवार है और जो वैश्विक एकता और सहयोग
का महत्व समझाता है।
प्राचीन संस्कृतियों में से विशेष होते हुए आधुनिक युग में भी भारत ने सामाजिक स्थिरता और सांस्कृतिक मूल्यों का समन्वय विश्व में बना रखा है। इस वजह से संपूर्ण विश्व भारत की ओर आकर्षित हो रहा है।
भारतीय संस्कृति को संजोय रखने व प्रचार में भारतीय ऋषि मुनियों और साधु संतों की विशेष भूमिका है। उन्होंने अपने ज्ञान से सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक विकास में बहुत योगदान दिया है।
वृक्ष कबहुं न फल चखे,नदी न संचय नीर।
परमार्थ के कारण, साधुन धरा सरीर ।।
अर्थात जैसे वृक्ष अपने फल खुद नहीं खाते और नदी खुद अपना पानी नहीं पीती उसी तरह साधु संत भी परमार्थ और मोक्ष के लिए ही शरीर
धारण करते हैं।
महामंडलेश्वर स्वामी अपूर्वानंद गिरी जी महाराज जी ने भी अपने सभी संबंधों को त्याग कर लोक कल्याण हेतु अपना जीवन जीने का संकल्प लिया।
1994 में जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेश्वरानंद जी गिरी महाराज जी से दीक्षा ली फिर एक लंबे अंतराल के बाद 2010 में हरिद्वार में आयोजित कुंभ के मेले में संन्यास लेकर एक नया अध्याय प्रारंभ किया। और 2013 में इलाहाबाद में आयोजित कुंभ के मेले में महाराज जी को महामंडलेश्वर की उपाधि से सम्मानित किया गया।
सज्जनों के मन, वाणी और कार्य में हमेशा समानता रहती है। महाराज जी ने भी ठीक उसी तरह अपनी ज्ञान रूपी शक्ति द्वारा सफल अनुष्ठानों का आयोजन किया। घर घर सुंदरकांड और भंडारों का आयोजन भी करते रहे।
अपने सान्निध्य में हनुमान जयंती,जन्माष्टमी, नवरात्रि, शिवरात्रि आदि महापर्वों का आयोजन करते रहते हैं। महाराज जी की शिष्या नर्मदा देवी जी द्वारा दो बार भागवत कथा का आयोजन भी करवा चुके हैं।
प्रभु की कृपा व गुरुजी के आशीर्वाद से, गुरुग्राम में स्थित मालिबू टाऊन में संकट मोचन मंदिर का निर्माण किया गया। आज जिस स्थान पर यह भव्य मंदिर है वहां समस्त देवी देवतागण विराजमान हैं। ये पावन धरा ही महाराज जी की धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र है। बहुत वर्षो तक महाराज जी ने फलाहार रह कर अपनी साधना पूरी की।
(प्रभु प्रेम धारा) नामक एक ट्रस्ट का निर्माण भी महाराज जी द्वारा किया गया।प्रतिवर्ष धार्मिक आयोजन इसी ट्रस्ट द्वारा संपन्न किए जाते हैं। मेजर जनरल ललित अरोड़ा जी, श्री कपिल जैन जी,श्री नितिन चुग जी और पंकज ठाकरान जी मुख्य सदस्यों की देख रख में इसका संचालन किया जाता है
महाराज जी द्वारा निर्मित मंदिर का पता है –
16 -A बर्च स्ट्रीट मालिबू टाऊन सोहना रोड गुरुग्राम हरियाणा 122018

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