‘‘हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
कहहिं सुनहिं बहु विधि सब सन्ता’’
यूं तो समय-समय पर एलीट सोसायटी में भिन्न-भिन्न कार्यक्रम होते ही रहते हैं चाहे धार्मिक कार्यक्रम हो, शैक्षणिक कार्यक्रम हो, सांस्कृतिक कार्यक्रम हो या फिर राष्ट्रीय पर्व का आयोजन हो ए.ओ.ए, मंदिर सेवा समिति, महिला भक्ति ग्रुप और वरिष्ठजन सभी लोगों का पूर्ण सहयोग उत्साह के साथ मिलता हैं।
इसी कड़ी में पूर्व वर्षो की भांति इस वर्ष भी 10 से 19 नवंबर तक मंदिर का तृतीय स्थापना दिवस श्री अनुज श्रीवास्तव एवं मंदिर समिति की कुशल देखरेख में पूर्ण जोश और उमंग के साथ ‘‘श्री राम कथा’’ के रुप में आयोजित किया गया। बृजघाट से पधारे वैदिक संस्कृति के विद्वान ‘‘आचार्य श्री विकाश भाई गृरु जी’’ और उनकी सहयोगी संगीत टीम ने इस नौ दिवसीय कथा कार्यक्रम को अपनी मधुर शैली में प्रस्तुत करके श्रोताओं को मंत्रा मुग्घ कर दिया।
प्रथम दिवस के यजमानों द्वारा प्रातः मंदिर प्रागंण में मंदिर पुरोहित श्री अमर नाथ जी द्वारा देव पूजन और आरती कराई गई तत्पश्चात् पोथी पूजन और कलश स्थापना के लिये मंदिर समिति एवं महिला ग्रुप के कुशल नेतृत्व में मंदिर से सोसायटी की परिक्रमा करते हुए कलश शोभा यात्रा का पीताम्बर दृष्य बहुत मनमोहक रहा जिसमे ‘‘श्री राम जय राम जय जय राम’’ की गुजायमान ध्वनि ने सोयायटी को सुगंधित कर दिया। क्लब आउस परिसर मे कथा मंच के साथ कलश स्थापना हुई। आचार्य श्री विकाश जी ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पोथी पूजन एवं कलश स्थापना कराई और सभी को शुभ कामनाए देते हुए अपनी वैदिक संस्कृति के प्रति प्रेरित किया। सभी एलीट वासियो की ओर से और मंदिर समिति की ओर से भी पोथी पूजन के बाद आचार्य श्री का स्वागत माल्यार्पण करके किया गया।
दोपहर 3 बजे कथा प्रारंभ से पूर्व यजमानों द्वारा पोथी पूजन और आरती की गई। यजमानों द्वारा श्री आचार्य जी का पुष्प माला डालकर स्वागत किया गया।
इस आयोजन की कुशल सफलता के लिये प्रयासरत श्री अनुज जी, श्रीमती रानी शर्मा जी, श्री कृष्ण मोहन शर्मा जी, श्री प्रमोद दीक्षित जी सभी पदाधिकारियों ने भी आचार्य जी का स्वागत करते हुए ईश्वर से प्रार्थना की। श्री कैलाश चन्द्र शर्मा ने कथा व्यास के लिये गुरुवंदना की।
प्रथम सत्रा में कथा की रुप-रुखा बताते हुए आचार्य जी ने संक्षिप्त में शिव सती-नारद प्रसंग, श्री राम जन्म, बाल लीलाए, वन गमन, ताड़का वध से लेकर राज्याभिषेक तक का अल्प परिचय दिया। सद्गृहस्थ की सफलता के लिये जीवन का मूलमंत्रा चार सकार जिसमें संवाद, सामंज्जस्य, संवेदना और समर्पण के साथ नारी सम्मान को वरियता देने पर बल दिया। श्रोताओं की रुची और संख्या में वृद्धि होती चली गई। विशेषकर श्री रामजन्मोंत्सव प्रसंग – बाल लीलाएं और विवाह प्रसंग अति रोचक रहा। इसी प्रकार प्रतिदिन यजमानों द्वारा व्यास मंच- पौथी पूजन, स्वागत आरती और अपनी संस्कृति के प्रति रुचिकार भाव बनते जा रहे थे। श्री कैलाश चन्द्र शर्मा जी द्वारा प्रतिदिन वैदिक गुरु वंदना ने आयोजन को और भी सुशोभित किया।
दिनांक 18 नवंबर को राज्याभिषेक के साथ कथा प्रंसग को विश्राम देते हुए विद्वतजन को दक्षिणा आदि की औपचारिकता पूर्ण की गई और मंच से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप से सभी सहयोगियों, दान दाताओं, संगीत जनो, यजमान बंधुओं और श्रोताओ के धन्यवाद से पूर्व ईश्वर का धन्यवाद किया। व्यवस्था प्रमुख एवं सहयोगियों को अथक परिश्रम सफल हुआ। ए.ओ.ए. का सहयोग भी प्रशंसनीय रहा।
इस आयोजन की अंतिम कड़ी समापन यज्ञ 19 नवंबर को श्रद्धिय आचार्य श्री विकाश जी के ब्रह्मत्व में मंदिर प्रांगण में हुआ। सभी यज्ञमानों ने बड़ी श्रद्धा के साथ आहूतियां प्रदान की मंदिर पुरोहित व अमरनाथ जी का यज्ञ में पूर्ण सहयोग रहा। पूणहिति में सभी उपस्थित बंधुओं यज्ञ प्रेमियो ने भाग लिया। श्री अनुज श्रीवास्तव के साथ सभी मंदिर समिति सदस्यों – ए.ओ.ए. पदाधिकारियों ने आचार्य जी का धन्यवाद किया पत्रा, पुष्प, फल आदि दक्षिणा रुप मे भेंट किया। प्रसाद वितरण के साथ सभी ने इस सफल आयोजन के लिये ईश्वर का धन्यवाद किया एवं सुखद भविष्य की कामनाओ के लिये शांतिपाठ किया।
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