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भर पिचकारी, पड़ोसी ने मुझे मारी। मेरी पड़ोसी से यारी हो गई…Happy Holi
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भर पिचकारी, पड़ोसी ने मुझे मारी। मेरी पड़ोसी से यारी हो गई…Happy Holi

भारत विविधताओं का और त्योहारों का देश है और हमारी सनसिटी को यदि Mini भारत कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। भारत वर्ष में हर मौसम और हर रिश्ते से जुड़े बहुत से पर्व हैं, जैसे भाई बहन से जुड़े पर्व, पति पत्नि से संबंधित त्योहार, परिवारों में मनाए जाने वाले त्यौहार, या कम्यूनिटी अथवा पास पड़ोस में मनाए जाने वाले त्यौहार। होली एक ऐसा ही त्यौहार है जिसे पड़ोसियों और मुहल्ले वालों के साथ ही मनाया जाता है और उसी में असली मजा आता है। साल भर चाहे हम पड़ोसी से ना मिले हों पर होली पर मिलते भी हैं, गले भी लगते हैं और एक दूसरे को प्यार के रंगों से सराबोर भी करते हैं मेरा मानना है आस पड़ोस में मेल मिलाप का इससे सुंदर कोई त्यौहार नहीं, बशर्ते इस त्यौहार को मर्यादित ढंग से मनाया जाए।

24 एवम 25 मार्च को हमारे इस Mini भारत में जिसे हम सनसिटी भी कहते हैं शेष आरत की ही तरह होली का त्यौहार बहुत हर्षोल्लास के साथ और सौहाद्रपूर्ण वातावरण में मनाया गया।

जैसा सनसिटी संवाद के पाठक जानते ही हैं कि मैं लगातार सनसिटी में होने वाली गतिविधियों के बारे में आप सब लोगों को अवगत कराने की कोशिश करता रहता हूं। इस जिम्मेदारी को मैंने स्वीकारा ही इसलिए है कि मुझे हर कार्यक्रम को व्यक्तिगत रूप से देखने की प्रेरणा मिलती रहे।

24 मार्च को होलिका दहन का कार्यक्रम SRWA की इवेंट मैनेजमेंट टीम ने डिस्पेंसरी परिसर में आयोजित किया था। होलिका दहन की परंपरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन की विधिवत पूजा करने से घर से सभी नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं। क्षेत्रा के बहुत से निवासियों ने विधिवत पूजा की एवम होलिका का दहन किया।

25 मार्च होली के दिन जिसे रंगोत्सव भी कहते हैं हमारी सनसिटी का वातावरण ही बदना हुआ था। SRWA द्वारा आयोजित होली मिलन के कार्यक्रम की व्यवस्था बहुत ही अदभुत थी, 9.30 का समय दिया गया था पर व्यक्तिगत कारणों से मैं 10ः30 बजे कम्यूनिटी सेंटर पहुंच पाया तब तक तो होली का कार्यक्रम अपने शबाब पर था और वहां उपस्थित जन समूह रंगों से सराबोर था। हर आयु वर्ग के suncitizen थे वहां, हर आयु वर्ग अपने ईच्छा अनुसार मस्ती कर रहे थे। जहाँ बच्चे अपने हम उम मिर्जा को भिगोने में लगे थे, युवा पौड़ी DJ की धुर्ना पर थिरकते हुए एक दूसरे पर रंगों की बरसात कर रहे थे, वहीं मेरी जैसी उस के थोड़े अधिक जवान लोग, जो आयु की गिनती के अनुसार वरिष्ठता की श्रेणी में आ चुके हैं बड़ी शालीनता से एक दूसरे को गुलाल लगा कर गले मिल रहे थे। मौज मस्ती के इस माहौल में एक और मजे की बात यह थी कि इस प्रकार के त्योहार में जिस प्रकार के व्यंजन खाने को मन ललचाता है। वो सब भी वहां लगे स्टाल पर उपलब्ध था। जो कोई भी भूख लगी है। घर जाना है, यह बहाना लगाना चाह रहा था उसका यह बहाना भी नहीं चल पा रहा था और तो और आयोजकों द्वारा इतने अधिक गुलाल का प्रबंध कर रखा था कि ना रंग समाप्त हो रहे थे और ना ही रंग उडाने वालों का जोश वहाँ अदभुत बात जो देखने को मिली कि सनसिटी परिवार के वरिष्ठ सदस्य माईक पर रंग बरसे जैसे गौतों को अपनी मधुर आवाज में गा रहे थे और युवा उन गीतों पर थिरक रहे थे। वहां से लौट कर आने का मन बिलकुल भी नहीं कर रहा था पर अपनी गली के पड़ोसियों के साथ भी होली खेलने का आलच था। जो वहां तक नहीं आए थे।

तो मैं लौट आया और पाया कि हमेशा शांत रहने वाली गली के बहुत ही सभ्य लोग, अलग ही मस्ती में होली खेलने में लगे हुए थ। लोगों को पहचानना कठिन हो रहा था। वैसे तो हमारी गली में अक्सर कुत्तों का साम्राज्य रहता है पर उस दिन अपनी गली के शेरों (कुत्तों) की कुतानियत देखी, एक भी रंग में अंग डालने नहीं आया। सनसिटी के विभिन्न पाकों में भी विभिन्न वाकिंग ग्रुप्स योगा ग्रुप्स को भी बहुत उत्साह के साथ होली का त्यौहार मनाते हुए देखा गया। अपनी रिपोर्टिंग को समाप्त करते हुए मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि इस होली पर मैंने ना जाने अपने किस किस पड़ोसी को प्यार भरे रंगों से सराबोर किया और किस किस पड़ोसी ने मुझे रंगा, कुछ को में जानता था और कुछ को मैं पहचानता था पर जिन्हें मैं नहीं जानता था और ना ही पहचानता उन्होंने भी जब मुझे भर पिचकारी मारी तो मेरी उनसे भी बारी हो गई।

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