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प्रकृति का सौंदर्य देख मन की तृप्ति
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प्रकृति का सौंदर्य देख मन की तृप्ति

मैं फूलों से बहुत प्यार करती हूँ। कुछ दिनों पहले मै शिव मंदिर, पुलिया के पास गई। जब मैं पाॅमग्रो सोसाईटी से निकली, गेट पर लाल, पीले, औरेन्ज रंग के फूल देखे। देखे तोे देखती रही! फूल इतने सुंदर की निगाह ही नहीं हटती। आप सब पाठक के लिए क्लिक किया यह फोटो; देखिये कितने मनमोहक फूल।

मेघदूतम पार्क मे हम जहाँ सवेरे, एक्सरसाइज करते है वहाँ  पीले फूलो का पेड़ जिसे देखते ही मन खूश हो जाता है। वैसे भी आजकल पार्क फूलो से भरा है बहुत सुंदर लगता है। सवेरे-सवेरे देखते ही दिल बाग-बाग हो जाता है। ऐसा मन करता है की सभी फूलो को निहारते रहे।

फूलो के पास रहने को मन करता है। आजकल सभी पेड़ो पर नए पत्ते आ रहे हैं। बहूत सुन्दर लगते है। ऐसे लगता है जैसे प्रकृति ने जगह-जगह नई तस्वीर, नई सीनरी बनाई है। साथ ही पार्क के एक ओर कल-कल करता झरना मन को बहुत भाता है।

छुट्टी के दिन सवेरे पार्क मे आने के बाद इतना अच्छा लगता है कि मन करता है कि यहीं बैठे रहे और कुदरत की इस घटा को निहारते रहें। घर वापस आने की दिल ही नही करता। सवेरे-सवेरे टहलते लोग आपस में प्रणाम, गूडर्मानिग, रामराम कहते हुए बहूत अच्छे लगते है। सभी लोग पार्क का ख्याल रखते हैं।

सवेरे-सवेरे हवा मे झूले झूलते फूल मानो कह रहे हो ”आ जाओ हमारे पास बैठो।’’ मन करता है कि मै भी तितली बन जाऊँ सारे फूलो से प्यार करु। अपनी बांहो मे भर लू।

द्वारा अंजना वर्मा ( सिल्वर इस्टेट; 9212715264)

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