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नीला आसमान खो गया…
Sector 93 Noida

नीला आसमान खो गया…

धुंधला आसमान, और कहीं दबा ढका सूरज! ना जाने क्यों शीत से पहले ही आसमान में आसमानी रंग गायब हो जाता है, और ललौंस लिए एक गंदुमी रंग पूरे आसमान को ढक लेता है। फिर हम भूल जातें हैं कि कभी आसमान नीला भी होता है। ये दिन बड़े ही कष्टप्रद होते हैं।

प्रदूषण का आवरण और धुंध ये मिल कर शहर को जीने लायक नहीं छोड़ते। और अब इसका नाम दिया है ‘स्मॉग’! धुंआ और धुंध का मिश्रण! यह जहरीली हवा फेंफड़ों को खाने लगती है। आंखों में निरंतर जलन दुखदाई हो जाती है। और सड़कों पर? वहां और भी मुश्किलों का सामना करतें हैं लोग, रोज अपना वाहन लेकर काम पर जानें वालों की अलग ही दिक्कत है। धुंध के मारे सड़कों पर आवागमन कम दिखता है और इस वजह से दुर्घटनाएं अपेक्षित है। ट्रेफिक की धीमी गति, गंतव्य तक पहुंचनें में भी बाधक है।

कुछ लोग इन दिनों में अगर संम्भव होता है तो दूर दराज घूमनें निकल लेतें हैं; लेकिन कब तक? ये आसमानी प्रकोप बच्चों और उम्र  दराज लोगों के लिए  खतरनाक है। पूरी सर्दियां ये धुंध, कोहरा और धुंआ मिलकर शहर पर कब्जा कर लेतें हैं। और यह दानव राज लम्बा चलता है। बीच-बीच में कभी बारिश या तेज हवा चले तो यह प्रकोप कुछ कम होता है फिर वैसा ही चलता है ।

अधिक ए.क्यू.आई. के कई वैज्ञानिक कारण हैं, कारखानों से निकलने वाली गैसों, रासायनिक उत्पादों, वाहन  का धुंआ, और तापमान परिवर्तन कोयला और पराली जलानें से उपजे धुंआ। ये गैसे तापमान परिवर्तन की वजह से जमीन  से ऊपर नहीं जातीं और इसीलिए हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करतीं हैं। ये नेत्र रोग, श्वास संम्बंधी समस्याएं, और हृदय रोग को बढ़ाती है। ऐसे ही जानवरों के भी स्वास्थ को प्रभावित करती है। पेड़ पौधों मे भी  धूप की कमी के कारण फोटो सिंथेसिस की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है, समुचित भोजन की कमी से फल, फूल का उत्पाद प्रभावित होता है, रंग रूप भी बिगड़ जाता  है।

तो हर साल की तरह इस साल भी वही समस्या… और उसी दानव के शिकंजे में जकड़ा हुआ मेरा शहर, जीयो या मरो रहना भी यहीं।

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