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Sector 93 Noida

नारी सशक्तिकरण और रूही

आजकल नारी सशक्तिकरण का भारत में प्रचलन खूब जोरो पर चल रहा हैं और क्यों न हो? अन्तरिक्ष विज्ञान में, पर्दाथ विज्ञान से न्यूकलियर विषय में, सैन्य दलों में, लड़ाकू विमान आदि में भारतीय नारी कदम से कदम मिलाकर चल रही है। किसी भी मायने में वह पुरूष से कम नहीं है। अब वह जमाना गया जब हमारी नारियाँ घर गृहस्थी में ही समय बिताया करती थी, अब वह लगभग प्रत्येक प्रकरण में अग्रसर होती जा रही है।


इसी पृष्ठभूमि में अभी हाल ही मे मैं संयोगवश एक लगभग चालीस वर्षीय नारी से मिला जो एक स्थानीय विश्वविद्यालय में दहाड़ी पर पिछलें चैदह वर्ष से कार्यरत है। उसका नाम रूही है। मैं एक इन्टरव्यू के कोचिंग के संबधित काम से इस विश्वविद्यालय कई दिन जाता रहा।


मैं और मेरे सहयोगी पेनलिस्ट के अतिथि सत्कार के लिये विश्वविद्यालय ने रूही को यह जिम्मेदारी दी थी। उसके कार्य प्रणाली, सभ्यता और शिष्टाचार से हम बस खूब प्रभावित हुये। वह सवेरे आकर हम सबसे चाय, काॅफी, अल्पाहार के बारे में नियमित रूप से पूछती और एक नोटबूक में लिख लेती। उसका पूरा व्यक्तित्व आत्माविश्वास से भरपूर था और खूब सजग।


इसी प्रकार दोपहर के भोजन में किसको क्या चाहिये नोट कर लेती और ठीक 1ः30 बन अपरान्ह वह खूब अच्छे ढंग से मेज पोश लगाकर प्लेट वगैरह सुनियोजित और संगठित कर के खाना परोसती। हम सब दंग रह जाते कि अकेली इतना सब कैसे संभालती है? जरा सा भी गफलत नहीं! एक साथ इतने लोगों की आवभगत खाना परोसना घर में एक गृहलक्ष्मी के लिये संभवतः यह सहज होगा पर एक विश्वविद्यालय के वातावरण में जहां गलती की कोई गुंजाइश नहीं है, वह जिम्मेदारी बखूबी निभाना कोई आसान काम नहीं है।


हमारे साक्षात्कार समाप्त हो चुकें है पर हमलोग रोज रूही की कुशलता, कुशल व्यवहार को नित प्रतिदिन याद करतें हैं। हमारा कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे देश में नारी सशक्तिकरण केवल सैनिक बलों में या विज्ञान के क्षेत्रा में या अध्यापन में ही सीमित नहीं है।


रूही जैसे अनेक नारीयां है जो अपने अतिथि सत्कार की जिम्मेदारी को भी उसी बखूबी से निभाती है और उतना ही महत्व देती जैसे एक महिला पायलट दूर ऊंचे गगन में अपने हवाई जहाज को बादल को चीरतें हुये पूरे आत्मविश्वास के साथ उड़ाती है। यह महात्वाक्षां तमाम रूहीयों के अन्दर है। उनके कर्तव्यनिष्ठा और जज्बे को सलाम।

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