आर्थिक रूप से कमजोर एवं वंचित वर्ग के लिए विशेष रूप से एवं सभी जनमानस के लिए क्लब-26 द्वारा प्रारम्भ किये गये। श्रीमती कुसुम खोसला कंप्यूटर एजुकेशन सेन्टर अपने उद्देश्य में सार्थक हो गया। जब दोपहर की कक्षा में एक कुछ उम्र दराज महिला आयीं और कंप्यूटर सीखने की इच्छा जाहिर करी, सौभाग्य से मैं कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र में बैठा ही हुआ था। और मेरे लिए यह हमारी आशाओं के विपरीत एक सुखद आश्चर्य पल का था। बहुत ही आदर के साथ उनको कक्षा में बैठाया गया और मुस्कराते हुए उनका नमस्ते आया और मेरी तरफ से उनको चरण स्पर्श हुआ क्योंकि वो कोई और नहीं हमारे ही सेक्टर के बी-92 में रहने वाली वर्षा जी की सासू माँ एवं जीतू लखानी जी की आदरणीय माता 80 वर्षीय श्रीमती जानकी लखानी जी थी। बातों बातों में उन्होंने जो अपनी कंप्यूटर सीखने की ललक दिखाई उससे मन तो गदगद हुआ ही साथ में अनेक प्रेरणादायक लोकोक्तियाँ सामने आने लगी, जब उन्होंने कहा कि मुझे अपनी उम्र नहीं देखनी है बल्कि कंप्यूटर अब हमारी जिंदगी का हिस्सा है तो ज्ञान इसका लेना ही है मुझे, ताकि मैं इसका सही उपयोग कर सकूं। तब लगा लोग ठीक कहते हैं की ‘‘सीखने की कोई उम्र नहीं होती है’’। पहले दिन ही उन्होंने अपने दिृढ़ निश्चय को जाहिर कर दिया। जब कंप्यूटर टीचर नीरज भटनागर जी ने उनको समझना शुरू किया और जानकी जी ने उसका अक्षरशः पालन एक आज्ञाकारी शिष्य के रूप में करना प्रारम्भ कर दिया, जरा सी भी न-नुकुर नहीं और हम सबको हैरान कर दिया। अपनी प्रतिभा से और हमें फिर याद आया की यह भी ठीक है। ‘‘मन के हारे हार है मन के जीते जीत’’ वरना एक उम्र दराज व्यक्ति को सम्हलना बहुत ही कठिन होता है। पहले दिन के प्रभावी कक्षा सम्पन्न होने के बाद जानकी जी ने एडमिशन फार्म माँगा लेकिन मैंने बहुत ही विनय पूर्वक निवेदन किया की आप एक सप्ताह तक रोज आये उसके बाद आपको लगे तो आप एडमिशन लेकर छः महीने का कोर्स पूरा कर लीजियेगा। क्योंकि हमें कहीं लगा कि उनका मन न बदल जाए कुछ दिन बाद, लेकिन हमारी सारी अटकलों को निराधार करते हुए जानकी जी अगले दिन समय से पहले पहुंची और कोर्स के अनुसार आगे सीखने शुरू किया और इसके बाद जब एक सप्ताह हो गया। जानकी जी ने विधिवत एडमिशन फार्म भर कर अपने ‘बेसिक’ कोर्स को आगे बढाना शुरू कर दिया। 80 वर्षीय जानकी जी की साकारत्मक सोच और व्यवहार से कंप्यूटर केंद्र में अलग ही माहोल बन जाता है, वहां पर छोटे छोटे और युवा बच्चे भी उनसे प्रेरित होते हैं और हम भी। क्लब 26 के साथ कंप्यूटर एजुकेशन सेन्टर को संचालित करने वाली सामाजिक संस्था नवरत्न फाउंडेशन्स इसे अपनी एक उपलब्धि मानते हैं। जहाँ जानकी जी अपने सेक्टर की महिलाओं के लिए एक प्रेरणादायक विभूति बन कर उभरी हैं वहीँ उनकी लग्न भी इस मुहावरे को सार्थक करती है की ‘जाहं चाह है वाहं राह’ हैं।
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