लेडीज क्लब गुलमोहर पार्क की
15 मई 2024 की संगोष्ठी मे स्त्राी रोग विशेषज्ञ डाक्टर मानवी मेनी को आमंत्रित किया गया था। उन्हों मैक्स साकेत, सफदरजंग, आदि कई अस्पतालों में कार्य करने का अनुभव है। श्रीमती अल्का शर्मा, नीलम सिंह, श्रीमती सीमा मैनी आदि सभी सदस्याओ के द्वारा जोरदार तालियों से तथा प्रबंधन कमेटी की सदस्याओं के द्वारा पुष्प द्वारा उनका स्वागत किया गया। श्रीमती अल्का शर्मा ने उनका परिचय देते हुए बताया कि डाक्टर होने के साथ ही वे गुलमोहर पार्क में ही पली बढ़ी हैं और श्रीमती सीमा मैनी की बेटी हैं।
डाक्टर मानवी ने बताया कि रजोनिवृति शरीर की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, परन्तु कभी-कभी महिलाऐं इस सन्दर्भ में अज्ञानता के कारण, बात चीत न करने के कारण कई प्रकार की भ्रान्तियाँ या भ्रम पाल लेती है तथा तनावग्रस्त हो जाती हैं। इस विषय में खुल कर बात न करने से सही जानकारी प्राप्त होने पर कई समस्याओं से बचा जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि महिलाओं में रजोनिवृति की अवस्था चालीस से पचपन वर्ष के मध्य लगभग पन्द्रह वर्ष होती है। व्यक्तिगत अन्तर हो सकते हैं, पेरिमोनोपोज और मैनोपोज चालीस साल के बाद सेंतालीस की उम्र तक पेरिमोनोपोज की स्थिति होती है जिसमें मासिकधर्म की अनियमितता आती है और उसकी अवधि में अन्तर आता है।
सिरदर्द, बैचैनी, ध्यान करनें में दिक्कत, मूड मे परिवर्तन (Swing) पसीना आना, गर्मी लगना, गुस्सा आना, चिन्ता, तनाव अनिद्रा, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द खिंचाव सामान्य लक्षण हैं। इस अवधि में एस्ट्रोजन के स्तर में बदलाव से ओस्टोपोरियस का खतरा बढ़ जाता है। क्लस्ट्रोल के स्तर में बदलाव, कम घनत्व वाला लियोप्रोटीन एल-डी-एस क्लस्ट्रोल, खराब क्लस्ट्रोल में वृद्धि जिससे हृदय रोग की सम्भावना बढ़ जाती है। साथ ही उच्च घनत्व वाला लियोप्रोटीन(एच-एल-डी) भी कई महिलाओं में हृदय रोग की सम्भावना बढ़ जाती है। महिलाएं जैसे जैसे पेरिमोनोपोज से गुजरती हैं शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोस्ट्रोजन के मात्रा का घटना और बढ़ना मासिक धर्म की अनियमितता पेरिमोनोपोज के लक्षण हैं। मोनोपोज का मतलब है मासिक धर्म का बन्द होना, यह पेरिमोनोपोज से बाद की स्थिति है।
उन्होंने कहा कि पेरिमोनोपोज से मैनोपोज की अवधि महिलाओं मे मानसिक व शारीरिक तौर पर बहुत बदलाव लाती है लेकिन यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि शरीर की सामान्य गतिविधि है जो उम्र के साथ साथ आती है इसके लिए बिना तनाव व चिन्ता किये स्वयं को सम्भालने की जरूरत है। उन्होंने चालीस के बाद स्तन, व बच्चेदानी आदि के केन्सर होने की सम्भावनाओ के बारे में बताया उन्होंने कहा कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है। चालीस के बाद नियमित रूप से डाक्टर से सलाह, जांच, टेस्ट कराने चाहिए। नियमित व्यायाम, सैर, खान पान में परिवर्तन, सकारात्मक सोच से एक खुशनुमा जिन्दगी जी जा सकती है।
यह वार्ता बहुत सार्थक, ज्ञान वर्धक थी। डाॅक्टर मानवी एक अच्छी वक्ता है। वार्ता के बीच मे वे श्रोताओं से जुड़ने व उनके विषय वस्तु से सम्बंधित ज्ञान की जानकारी लेने के लिए प्रश्न पूछती रही। अन्त में सर्वाधिक सही उत्तर देने के लिए डाॅ अंजलि क्वात्रा को प्रबंधन कमेटी की ओर से प्रथम व एक नई सदस्या को द्वितीय पुरस्कार दिये गये।
डाॅक्टर मानवी ने सभी सदस्याओ के द्वारा पूछे गये सवालों, शंकाओ का समाधान किया। अन्त में अल्का शर्मा ने डाक्टर मानवी को सब सदस्याओ की ओर से व प्रबंधन कमेटी की ओर से धन्यवाद दिया और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
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