इस पवित्रा अवसर पर पंडित जी द्वारा पूजन और विवाह का आयोजन किया गया। निवासियों ने धूम-धाम से इसमें भाग लेकर इस अवसर की महिमा को समझा। तत्पश्चात भक्ति गीत और प्रसाद वितरण हुआ।
तुलसी विवाह हिंदू संस्कृति में विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के दिव्य मिलन का प्रतीक है, जिसका प्रतिनिधित्व पवित्रा तुलसी के पौधे द्वारा किया जाता है। यह अनुष्ठान इस विश्वास को उजागर करता है कि पुण्यवान और धार्मिक लोगों की हमेशा दिव्य द्वारा रक्षा की जाती है।
देवउठनी एकादशी यानी कार्तिक महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी पर तुलसी और भगवान शालग्राम का विवाह किया जाता है। ऐसा करने से भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं। क्योंकि पद्म पुराण के अनुसार तुलसी जी लक्ष्मी का ही रुप है और भगवान विष्णु ने शालिग्राम का रुप लिया था। ऐसा क्यों हुआ इसके पीछे ब्रह्मवैवर्त पुराण में कथा है। तुलसी और शालिग्राम विवाह करवाने से घर में समृद्धि और सुख बढ़ता है। इसलिए सनातन धर्म में देवी तुलसी और भगवान शालिग्राम के विवाह की परंपरा है।

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