9 मई गुरूवार को गुलमोहर लेडीज क्लब ने मदर्स डे को, गुलमोहर क्लब में बड़े ही उत्साह और जोश से मनाया। लगभग 4ः30 बजे से सदस्यों का आना आरंभ हो गया।
प्रेसिडेंट श्रीमती मधु भंडारी ने सबका स्वागत और अभिनंदन किया। कार्यक्रम का आरंभ सभी ने गणेश जी की स्तुति से किया।
पे्रेसिडेंट मधु भंडारी ने मैनेजिंग कमेटी के सभी सदस्यों का परिचय दिया। उसके पश्चात वाइस प्रेसिडेंट श्रीमती रेखा जैन को ‘‘मदर्स डे’’ के बारे में बताने के लिए आमंत्रित किया। रेखा जैन ने बहुत ही खूबसूरत अंदाज में मदर्स डे के बारे में विस्तार से सबको बताया। सब ने उनका तालियों से अभिनंदन किया। उसके पश्चात वाइस प्रेसिडेंट श्रीमती प्रतिमा चतुर्वेदी जो एक कवित्राी भी हैं उन्होंने अपनी लिखी कविता ‘‘माँ’’ शीर्षक पढ़ी। जिसे सुनकर सब मंत्रामुग्ध हो गए। उसके पश्चात श्रीमती हरिंदर कौर जो कल्चरल सेक्रेट्री हैं य उन्होंने बहुत ही खूबसूरत गीत माँ के लिये गाया। बारी आई श्रीमती सुनीता राजोरा की जो कल्चरल सेकेट्ररी हैं। उन्होंने भी अपनी मधुर और बुलंद आवाज में – ‘‘झीना झीना उड़ा गुलाल माई तेरी चुनरिया लहराए, गीत गाकर सबका मन मोह लिया। जौएंट सेक्रेटरी श्रीमती सतपाल कौर भाटिया ने अपनी माँ की एक ऐसी सीख के बारे में बताया, जिसे सुनकर सदस्यों की आखें भर आईं। आज भी अधिकाँश लोग माँ की सीख को अपनी जिंदगी में शामिल करते हैं।
एक नई सदस्या श्रीमती सुनीता डबलिश ने भी माँ के बारे में बताया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए उपस्थित सदस्यों को प्रेसिडेंट मधु भंडारी ने क्लब के बारे में विस्तार से अवगत कराया। उसके पश्चात विशेष कार्यक्रम को जिसे ‘‘मदर्स डे’’ के उपलक्ष्य में तैयार किया गया था। जिसमें 1980 के दशक से लेकर 2024 तक की माँ के स्वरूपों को नाटिका के रूप में प्रस्तुत किया गया।
1980 की माँ का रोल अदा किया श्रीमती प्रतिमा चतुर्वेदी ने जिसमें यह दर्शाया कि किस प्रकार से पहले की माँ घूंघट ओढ़ती, सिर पर पल्लू रखती थीं और अपने घर, बच्चों, सास-ससुर को भी बखूबी संभालती थीं। उनके साथ सास का रोल मधु भंडारी ने निभाया। आया 1990 का दशक – श्रीमती मीना गुप्ता ने उस वक्त की माँ का किरदार निभाया। किस प्रकार वह दो बच्चों को संभालती है और अपनी सास की आज्ञा भी मानतीं हैं। यह सब देखकर तालियां रूक ही नहीं रही थीं। आया 2000 का दौर जिसे श्रीमती हरिंदर कौर ने एक अलग ही अंदाज में प्रस्तुत किया। तब थोड़ा जमाना बदल गया था। औरतें काम करने लग गई थीं। घर परिवार के साथ-साथ उनकी भी इच्छा होती थी कि वह भी कुछ काम करें, अपना योगदान दें। वह अपनी सास को किस प्रकार समझाकर अपना साथ देने के लिए मनाती हैं।
फिर आया माॅडर्न जमाना 2010 जिसमें माँ का रोल एकदम अलग हो गया वह आॅफिस भी जाती हैं और घर, बच्चों को भी संभालती है। इस किरदार को श्रीमती सुनीता राजोरा ने और सास का रोल हरिंदर कौर ने बखूबी से निभाया। अंत में आज का जमाना, एकदम से बदलाव। आज की माँ जो बहुत पढ़ी – लिखी है। शादी से पहले से ही जाॅब करती है, बिजनेस करती है। यहां तक की ससुराल वाले भी यही चाहते हैं कि उन्हें नौकरी करने वाली बहू मिले। श्रीमती रेखा जैन ने इस किरदार को बखूबी निभाया और उनकी सास का रोल अदा किया श्रीमती मीना गुप्ता ने। तालियों की गड़गड़ाहट थमने का नाम ही नहीं ले रही थीं।
कार्यक्रम में आईं सभी सदस्यों का सम्मान मैनेजिंग कमेटी की मैर्बस ने स्टाइलिश चुनरी औढ़ाकर किया। सब ने बहुत खुशी जताई। अंत में प्रेसिडेंट ने सबका धन्यवाद किया और जलपान के लिए आमंत्रित किया। इस प्रकार से मदर्स डे को हर्षोल्लास से मनाया गया।
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