लेडीज क्लब द्वारा 11 अक्टूबर, बुधवार को ‘त्योहार और रंगोली’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। श्रीमती पुष्पा मिश्रा जो गुलमोहर पार्क में रहती हैं, उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में सदस्यों को रंगोली कला के विषय में विस्तार से बताने और सीखाने के लिए आमंत्रित किया गया। श्रीमती पुष्पा मिश्रा जो प्रत्येक कला में निपुण है। क्लब की प्रेसिडेंट श्रीमती तारारंगम ने पुष्पा जी का फूलों से स्वागत किया। उपस्थित सदस्यों को श्रीमती पुष्पा मिश्रा के बारे में बताया कि किस प्रकार से वह अनेक गुणों से परिपूर्ण हैं। सबने तालियां बजाकर उनका स्वागत अभिनंदन किया। पुष्पा जी ने धन्यवाद कहकर कार्यक्रम का आरंभ किया।
रंगोली के बारे में विस्तार से बताया कि रंगोली क्या है? इसका महत्व क्या है? इसे क्यों सजाया जाता है। उन्होंने बताया कि इसे भिन्न-भिन्न त्योहारों में घर आंगन में सजाया जाता है। इसे बनाने का तरीका भी बहुत ही सरल है य उन्होंने इतने सरल तरीके से समझाया कैसे फूलों से, रंगों से या कुछ भी आपके पास हो उससे आप रंगोली बना सकते हैं। रंगोली को बनाने का तरीका, इसे अंदर की तरफ से शुरू करके बाहर की तरफ बढ़ाते हैं। उसे जितना बड़ा करना चाहें कर सकते हैं। बढ़ाते जाते हैं। यह आपकी कला पर निर्भर करता है कि आप कैसे उसको सजाना चाहते हैं। पुष्पा जी ने बताया कि इस कला का उल्लेख भारत की कई महत्वपूर्ण प्राचीन परंपराओं को दर्शाता है। अर्थात रंगोली किसी न किसी संस्कृति और परंपरा को अवश्य दर्शाती है।
त्योहारों के उत्सव को रोशन करने वाली रंगोली को सौभाग्य का अग्रदूत भी माना जाता है। पुष्पा जी ने बताया कि इसे अल्पना के रूप में भी जाना जाता है। रंगोली पैटर्न फर्श पर, थाली में या किसी भी साफ जगह पर बना सकते हैं। चाहे तो चावल से, फूल से, रंगीन रेत से, अनेक रंगों से या पेंट का उपयोग करके भी रंगोली बनाई जा सकती है। रंगोली कला की लोकप्रियता वर्षों से रही है। रंगोली की प्रतियोगिताएं भी होती रहती है। अधिकांश रंगोली के डिजाइन स्वास्तिक, माता के चरण आदि पूजा के लिए बनाए जाते हैं। शादी विवाह में भी इसे सौभाग्य चिन्ह के रूप में सजाते हैं। इसे भाग्य और विकास का प्रतीक भी माना जाता है।
श्रीमती पुष्पा जी ने उपस्थित सदस्यों को बताया किस प्रकार से फूलों की पंखुड़ियों से घर आंगन में बनाते हैं इसे करके दिखाया और सिखाया भी। कैसे आप अपनी कला से, अपने दिल से डिजाइन बना सकते हैं। इसके पश्चात सुखे लाल, पीले, हरे आदि रंगों से भी रंगोली बनाकर दिखाई। सब ने बड़े ही उत्साहपूर्वक इस कला को सीखने की कोशिश की और बीच-बीच में तालियों से उनकी सराहना भी की।
अंत में जो जिसके मन में कुछ शंकाएं थीं, कुछ पूछना चाहते थे पूछा और पुष्पा जी ने उन सभी को अच्छे से समझाया और यह वादा भी लिया कि आने वाले त्योहारों में सब लोग इस कला को अपने घर आंगन में सजाएंगे। तालियों की गड़गड़ाहट से सबने आश्वासन दिया। अंत में श्रीमती तारा जी ने उनका धन्यवाद किया और उनको सम्मानित किया। कार्यक्रम के अंत में जलपान की व्यवस्था थी। सबने विश्वास दिलाया कि इस कला को अपने-अपने घर आंगन में अवश्य सजाएंगे। रंगोली एक बहुत ही खूबसूरत और अनोखी कला है, जिसे सीख कर सभी सदस्य बहुत खुश हुईं।
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