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Sector 39 Noida

किर्तन और सामाजीकरण

कभी कुछ दिनों पहले ही नवरात्रि के त्योहार का आयोजन हुआ साल में दो बार आने वाले इन नौ दिनों मे सेक्टर में इतनी रौनक रहती है जितनी पूरे साल में देखने को नहीं मिलती, इन नवरात्रों में आयोजित होने वाले किर्तनों के भक्तिभाव वाले पहलू को ही मैं जानती थी इसलिए जब मैं पहली बार सेक्टर में आयोजित किर्तन में गई थी तो मेरा साक्षात्कार भक्ति से इतर इसके दूसरे पहलू से हुआ जो है ‘‘सामाजिक पहलू’’। इन नौ दिनों मे अलग-अलग घरों मे होने वाले इन किर्तनों में महिलाएँ सज-सँवरकर शामिल होती है, अपने-अपने काम में व्यस्त रहने वाली ये महिलाएँ साल में दो बार नौ-नौ दिन के लिए वक्त निकालकर किर्तन में जाने को प्राथमिकता देती है जिससे मेल-मिलाप बढ़ता है जान-पहचान बढ़ती है और एक दूसरे को लेकर जो झिझक होती है वो दूर हो जाती है, कुछ उत्साही लोगों की टीम नौ दिनों के किर्तन की पूरी रूप-रेखा कुछ दिन पहले ही तैयार कर लेती है दशकों से चले आ रहे इन किर्तनों के निर्विघ्न आयोजन का श्रेय इसी टीम को जाता है।

सेक्टर के जिस हिस्से मे जहाँ-जहाँ ये किर्तन होते है उस एरिया मे सामाजीकरण अथार्त मेल-जोल ज्यादा है साथ में मिलकर भक्ति के गीत गाना एवम् ग्रुप में नाचना ये सब मिलकर वहाँ जिस ऊर्जा का संचार करता है उसको वही जाकर महसूस किया जा सकता है।

ऐसा लगता है जैसे सब बैरियर टूट गए है बस एक धारा का प्रवाह हो रहा है सब मे खुशी की जो सबको एक दूसरे से जोड़ रही है, इस परम्परा को पोषित कीजिए और निर्विघ्न बढ़ने दीजिए मेरी प्यारी बहनों।

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