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एक पार्क खेलों के नाम
Sector 61 Noida

एक पार्क खेलों के नाम

नौएडा के हर सेक्टर में कई पार्क है उन पार्कों में बच्चों का एक कोना है जिसमें उनके लिए कई झूले लगे है

पहली नजर में लगता है नौएडा अथाॅरिटी बच्चों का कितना ख़याल रखती है हर पार्क मे उन्हें उनका एक कोना देती है जहाँ वो झूलते हैं उछलते-कूदते है,परंतु हर बच्चे का एक उम्र के बाद उन झूलों में रुझान ख़त्म हो जाता है जो कि स्वभाविक ही है अब वो बच्चा और दूसरे खेलों में रूझान लेने लगता है वो आता है पार्क मे फुटबाॅल लेकर या चाहता है अन्य खेल खेलना, जिस साइकल को सेक्टर के भीतर तेज भागते वाहनों के कारण वो सड़को पर नहीं चला सकता उसे वो पार्क पर बने पाथ पर चलाना चाहता है, बस यही समस्या शुरू हो जाती है पार्क में बैठे लोगों को तेजी से आती बाॅल ना लग जाए इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से उसे वहाँ खेलने से रोक दिया जाता है।

पाथ पर वाॅक कर रहे लोगों की टक्कर कहीं साइकल चला रहे बच्चे से ना हो जाए और दोनों को ही चोट ना लग जाए इसलिए उसे वहाँ भी रोक दिया जाता है और अन्य खेल खेलने के लिए जो कोर्ट चाहिए वो तो उपलब्ध है ही नहीं, अब ये तो सम्भव नहीं है कि नौएडा के हर सेक्टर का बच्चा खेलने के लिए नौएडा स्टेडियम जा सके इसलिए एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि बच्चा रोज खेलने जाए तो कहाँ जाए??

जिन बच्चों को पार्क में झूलों का एक कोना मिला था थोड़ा बडे होने पर उन्ही पार्कों में उनके खेलने के लिए कोई जगह नहीं होती!!! हर बचपन का ये हक है कि उसे खेलने के लिए एक मैदान मिले जिसमें वो जो चाहे खेले बिना किसी रोक-टोक के, ना बड़े होते बच्चों को सेक्टर के कई पार्कों में से उनके हिस्से का एक पार्क दे दिया जाए जिस पार्क में उनके खेलने के लिए कुछ कोर्ट भी बनाए जाए जैसे- बास्केटबाॅल कोर्ट, स्केटिंग कोर्ट, गोल पोस्ट लगाए जाए व साइकल चलाने के लिए ट्रैक बनाया जाए और शतरंज खेलने के लिए छोटी मेजें हो जिनके दोनो तरफ स्टूल भी बने हो बैठकर खेलने के लिए, शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण बच्चे मोटापे का शिकार हो रहे है।

हम बच्चे को कई बार दोष देते हैं कि वो नैट पर खेलता है क्यूँ नही बाहर निकल कर कुछ खेलता और जब बच्चा पलटकर आपसे पूछता है कहाँ जाए खेलने तो अभिभावक के पास जवाब नहीं होता और तब एक अभिभावक उसे किसी कोचिंग क्लास में लेकर जाता है जहाँ बच्चा हफ्ते के तीन दिन एक-एक घंटा कोई खेल सिखने व खेलने जाता है

क्या हफ्ते के सात दिनों में सिर्फ तीन घंटे काफी हो सकते है किसी बच्चे के खेलने के लिए ?इसीलिए नौएडा अथाॅरिटी से ये मेरी गुजारिश है कि नववर्ष मे बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए, उनकी ऊर्जा के सही रूपांतरण के लिए व खेलों को बढ़ावा देने के लिए हमारे सेक्टर-61 में ही नहीं बल्कि नौएडा के हर सेक्टर मे बच्चों के हिस्से का एक ‘‘खेल पार्क’’ बनाकर उन्हें तोहफे मे दे दिया जाए उसमें एंट्री के लिए मुफ्त पास बने सभी सेक्टरवासियों के लिए और जिसके संचालन मे सेक्टर की आर डब्ल्यू ए महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।

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