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इस दीवाली प्राकृतिक रंग, फूल-पत्तों का प्रयोग करें
Sector 50 A-E

इस दीवाली प्राकृतिक रंग, फूल-पत्तों का प्रयोग करें

नवरात्रि गयी दुर्गा मां सड़क पर आ गई! पूजा का सामान, मूर्तियां पार्कों के किनारे आ गई!! सभी से करबद्ध निवेदन हैं, कृपया अपना पूजा का सामान मूर्तियां अपनी घर में काम करने वाले सहायक, सहायिकाओं को विसर्जन के लिए न दें। उनके पास सड़क के अलावा कोई विकल्प नहीं होता, ये कार्य स्वयं विवेक पूर्ण तरीके से करें। अन्यथा नयी मूर्तियां, कैमिकल पेंट, प्लास्टिक, आदि का ऐसा सामान खरीदने से बचें जो घुलनशील नहीं होता। ये पार्क, शहर, सड़कें, राष्ट्र सब आपका और हम सबका हैं।
इस दीवाली पर लक्ष्मी जी के प्लास्टिक स्टिकर चरण, स्टिकर रंगोली, प्लास्टिक के फूलों की लड़ियां और रंगोली के केमिकल रंगों का बहिष्कार कर प्राकृतिक रंग, फूल पत्तों का प्रयोग कर पर्यावरण को संरक्षण में अपना सक्रिय योगदान करने का संकल्प करें।
क्यों करें

  1. रोली, हल्दी, चावल, आटा, मेंहदी, फूल पत्ते जैसी प्राकृतिक वस्तुएं धरती, जल में शीघ्र ही घुल कर जीवाणुओं, कीटाणुओं का भोजन बन जाती हैं।
  2. वातावरण में एक सकारात्मक ऊर्जा, सुगंधि छोड़ते हैं। हम उन्हें होम कंपोस्ट में डाल सकते हैं। आम्र, अशोक, पल्लव की बंदनवार, लड़ियां, गेंदा, गुलाब, मोगरा, कमल, आदि वातावरण में एक सकारात्मक ऊर्जा, सुगंधि फैला कर हमारे मन तन को स्वस्थ व प्रसन्न रखते हैं। ईश्वर की बनाई इस प्यारी प्रकृति का संरक्षण हमारा सामाजिक, नैतिक दायित्व हैं।
  3. अपने शहर, गलियां, राष्ट्र को साफ सुथरा रखने में हमारा सक्रिय योगदान होता हैं।
    क्यों नहीं करें
  4. स्टिकर लक्ष्मी चरण बहुत लंबे समय तक धरती पर चिपके रहते हैं और उन्हीं पर धूल, कचरा, झाड़ू और सबके पैर पड़ते हैं।
  5. रंगोली के केमिकल रंग धरती, जल को दूषित करते हैं और धरती, जल में रहने वाले जीवाणु, कीटाणुओं के लिए जानलेवा होते हैं।
  6. प्लासटिक के फूल धरती में घुलते नहीं है और उनसे वातावरण में कोई सकारात्मक ऊर्जा, सुगंध नहीं फैलती।
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