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आया सावन झूम के
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आया सावन झूम के

सावन एक ऐसा मास है जब सारी प्रकृति हरी चुनरी ओढ़ कर फूलों और हरियाली के माध्यम से अपनी मस्ती को अभिव्यंजित करती है। प्रकृति के इस आनंदोत्सव में सारे प्राणी सम्मिलित हो जाते हैं, चाहे वो कीट पतंगे हों, पक्षी, पशु या मनुष्य हों। क्यों न हो, जहां वसंत ऋतु को ऋतुराज अर्थात ऋतुओं का राजा माना जाता है, वहीं वर्षा ऋतु को ऋतुओं की रानी कहा गया है और इस रानी का स्वागत सावन झूम झूम कर कभी मेघों के मृदंग बजा कर, कभी सोंधी सुगंध बिखेरती रिमझिम फुहारों के रूप में और कभी अपने हर्ष के आवेग को रोक पाने में असमर्थ मूसलाधार बारिश के रूप में करता है।
मस्त सावन की इस मस्ती से वेलिंगटन की महिलाएं भला अछूती कैसे रह सकती थीं? बस फटाफट सावन के स्वागत के लिए एक पार्टी का आयोजन किया गया जिसमें सभी को हरे परिधान में आना था। 16 जुलाई को 12 बजे सभी महिलाएं निश्चित स्थान पर एकत्रित हो गईं। हरे रंग के
विविध रूप, कहीं हल्का, कहीं गहरा, कहीं धानी और कहीं समुंद्री हरा यहाँ देखने को मिले। चाय की चुस्की और हल्के फुल्के खान पान के साथ कई मनोरंजक खेलों का आयोजन भी किया गया जिसमें पुरस्कार भी दिये गए। उसी समय बरसती रिमझिम फुहारों के रूप में प्रकृति ने भी इसमें अपना योगदान दिया।
पुरस्कार वितरण के पश्चात बारी आई भोजन की। आतिथेय ने मौसम के अनुरूप चटपटे व्यंजन बनाये थे जो बहुत देर से सबकी प्रतीक्षा कर रहे थे और महिलाओं ने खुलकर इसका आनंद उठाया। अंत में सावन की विशेष मिठाई घेवर से भोज का समापन हुआ।
आस्था क्लब ने भी 21 जुलाई को अपनी मासिक गोष्ठी को सावन उत्सव के रूप में मनाया जिसमें सावन से संबंधित गीत कुछ महिलाओं ने गाये।

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