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आया बसन्त छाया बसन्त
Sector 77 Noida

आया बसन्त छाया बसन्त

श्रुतुराज का स्वागत, स्वागत अन प्राककृतिक भूबसूरती का जो सुहावने रूप में प्रकट हो तन और मन को आत्मनिभोर कर देती है। आकाश स्वच्छ, हवा सुहावनी अग्नि, पानि सूर्य सुुहाने रूप मेे जल अमृत के समान सुखदायक और माटी अपने रोम मेे खूबसूरती पैदा करती, कहीं लहलहाती फसलें, कही खिलते फूल और तेज ठंड से ठिठुरे पेड़ पौधों को जैसे नया जीवन मिल गया है। हर कोई प्रकृति इम सौन्दर्य को देखने की ख्वाहिश लिए, बाहें फैलाये खुले मन से स्वागत कर रहा है इस ऋतु का पतझड़ के बाद नए पत्तों का आना बसन्त के आगमन का सूचक है। बसन्त ऋतु नई शुरुआत, नये सिजन का समय है गृह प्रवेश, नव व्यवसाय शिक्षा की शुरुआत और कोई भी नया सृजनात्मक कार्य इम दिन शुरू करना श्रेष्ठ माना जाता है यानि नवसृजन की ऋतु है बसन्त।

भारतीय संवत्सर के अनुसार बसन्त पंचमी प्रतिवर्ष माघ शुक्ला पंचमी को मनाई जाती है। इसदिन वाग्मयी देवी सरस्वती का आविमवि दिवस माना जाता है। अतः माँ सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।

एलिट होम्ज मंदिर परिसर किन में बसन्त पंचमी के पूर्व दिवस से ही उत्सव की तैयारियाँ प्रारंभ हो गयी थी। मंदिर को पीले रंग के पुष्पो से सुसज्जित किया गया।
बसन्त पंचमी 3 फरवरी को मनाई गई। सभी भक्तवृद्ध 10 बजे तक पीले के परिधान कर मंदिर परिसर में एकत्रित हो गए थे। फिर पूजा अर्चना प्रारंभ हुई। पं. अमरचन्द चतुर्वेदी के नेतृत्व में कार्यक्रम को प्रारंभ किरन जी किरजगांवकर ने गणपति अथर्वशीष का वाचन कर सरस्वती पूजा के कार्यक्रम शुरुआत की तप्तपश्चात नवग्रह स्तोत्रा का वाचन हुआ। तप्तपश्चात अंजु शर्मा ने सरस्वती माँ की वन्दना की तथा कुछ श्लोक भी बोले।

श्री राम रक्षास्तोत्रा का वाचन लक्ष्मी दीक्षित श्री किरण जी तथा पंण्डित जी के द्वारा किय गया। सरस्वती जी स्तोगम् का वाचन भी किया तथा वसन्त पंचमी के बारे में जानकारी भी दी गई। सरस्वती माता की पूजा अर्चना श्रृंगार करके आरती की गई। अन्त मे प्रसाद वितरण किया गया।

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