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अक्षय तृतीया की विशेष पूजा

तिथि 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया थी। जैन धर्म के अनुयायी इस दिन विशेष पूजा, विधान, दान करते हैं। इस दिन जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव जी ने 13 महीने का कठिन निरंतर उपवास (बिना जल का तप) किया था। गन्ने का रस पीकर ही उपवास समाप्त किया था। आज भी बहुत जैन भाई व बहने नियमानुसार उपवास शुरू करते हैं। सभी जैन मंदिरों में गन्ने का रस पिलाने का महत्व बना हुआ है। सभी राहगीरों को भी गन्ने का रस वितरित किया जाता है। मन्दिरो में ही वात्सल्य भोज का प्रबंध रहता है। अक्षय तृतीया को जैन धर्म के अनुयायी धर्म के साथ जोड़ते है। सोना, चांदी, गाड़ी, भवन की खरीदारी को मिथ्या मानते है। धर्म मे आस्था रखते हुए इस पर्व को मनाते है।

सुषमा जैन (BG09 पार्श्वनाथ प्रेस्टिज)

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