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संरक्षण का जरूरतमंद!
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संरक्षण का जरूरतमंद!

और फिर एक बार, हमारे पास, एक डरा, थका, छोटा सा पंछी आ पहुंचा। संरक्षण का जरूरतमंद! जब ये अपनी मां से बिछुड़ कर आते हैं, तब यह बेबी बर्ड बहुत ही निढाल और शक्ति हीन होते हैं। हाथ में आते ही, कांपते पंछी, शायद हमारी हथेलियों की गर्माहट से, तुरन्त सो जाते हैं।

सो हमने पंछी की फोटो भेजी अपनी मित्रा ज्योति राघवन को व पंछियों की मित्रा मोहिनी जी को जो अनेक घायल, खोए पंछियों का पालन करती हैं। मोहिनी जी की ऐवियरी के द्वार उसके लिये खुले ही थे!

अपने काम से लौटने पर, अंधेरा हो गया है कह, हमने उस दिन उसे एवियरी भेजने का निर्णय टाल दिया, और ऐसा कुछ दिन रोज़ किया। वह पंछी इतना प्यारा है कि उससे हम दोनों को ही नहीं , हमारे घर काम पर आने वालों को भी, बहुत प्यार हो गया। खाना चुगना भी नहीं आता था सो, हाथ से खिलाओ, पानी पिलाओ, ममता उमड़ने लगी। उपर से, इन्हें तो मेरे बाल शायद पीछे छूटे घोंसले की याद दिलाते थे। पहले दिन से, लटक, पटक, मेरे कन्धे पर चढ़कर, बालों में मुंह घुसा, बैठकर सो भी जाता और टुकुर टुकुर दुनिया ताकता रहता, घंटों! मेरे कांधे पर बैठ आफ़िस में ड्यूटी भी कर आए।

इस पंछी की आवाज बहुत ही मीठी है। जैसे जैसे उसकी ताकत बढ़ने लगी, गाना, उड़ान भरने की कोशिश सभी बढने लगे। बाहर के पंछियों की आवाज सुन, उंची गर्दन कर, उचक उचक कर उन्हें देखने की कोशिश भी! तभी हमने सोचा अब उसे और पंछियों के पास भेजने का समय आ गया है। बिछड़ना थोडा दुखदायी रहता है, पर खुशी है कि वो पंछियों की टोली में है।

ऐसे अनुभव हमें बार बार नए एहसास देते हैं और हमारी मुहब्बत की दुनिया बढ़ती जाती है। पशु, पक्षी, कीट, पतंगे, फल, फूल, वृक्ष, वनस्पति, खर ,पतवार सभी के समावेश से हमारी प्रकृति व मालिबू भी इतने सुन्दर हैं।

हम अपने हरियाली भरे पड़ोस के छोटे छोटे बाशिंदों से भी इसी कारण रुबरु हो पाते हैं !

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