21 जनवरी, राम लला की प्राणप्रतिष्ठा के ठीक 24 घंटे पूर्व, केसरिया रंग में रंगा पगा, वेलिंगटन का प्रांगण राममय, भक्तिमय, भावमय हो उठा जब वहां उपस्थित 70 लोगों ने जय श्री राम का समवेत स्वर में उदघोष किया। यह श्री राम के प्रति उनकी श्रद्धा और भक्ति ही थी जो इस ठिठुरती ठंड में भी उन्हें वहां बरबस खींच लाई थी।
राम, एक छोटा सा ,प्यारा सा नाम है जो जितना छोटा है उतना ही सरल है। जो भक्तों के लिए कुसुम सा कोमल है तो दुष्टों के लिए वज्र से भी कठोर है। ऐसे महान, दयालु, भक्तवत्सल श्री राम के बाल रूप की प्राण प्रतिष्ठा उनकी जन्मभूमि अयोध्या में हो रही है तो जनमानस के हृदय में भावों का उद्वेलन स्वाभाविक ही था।
चतुर्दिक फूलों से सजे प्रांगण में श्री राम के चित्र की स्थापना के पश्चात दीपक प्रज्वलित कर श्री राम का आवाहन किया गया। वैसे भी राम तो हर कण में, हर मन में, हर तन में व्याप्त हैं। पहले श्री राम और फिर रामभक्तों के स्वागत के पश्चात कार्यक्रम का प्रारंभ श्री राम के बालरूप ‘ठुमक चलत रामचंद्र’ के भजन से लता सुंदर ने किया। उनके दयालु रूप की छवि दिखी मंजु सूदन के ‘श्री राम चंद्र पालु’ भजन में तो राम और कृष्ण दोनों के मनोहर रूप को दर्शाया रश्मि ने अपने भजन में। तभी सुबह से ही छाए घने बादलों को चीरती हुई सूर्यदेव की किरण श्री राम के चित्रा पर सीधी आकर पड़ी, मानो सूर्य भी अपनी स्वर्णिम किरणों द्वारा श्री राम को सज्जित कर रहे हों।
बबली ने राम के आगमन को अपना सौभाग्य माना तो सीमा वर्मा ने राम को अंतर्यामी बताते हुए पूरी निष्ठा से समर्पण का आग्रह किया। बीच बीच में श्री राम से संबंधित कुछ प्रश्न भी पूछे गए जिसका रामभक्तों ने उत्साहपूर्वक उत्तर दिया। रेणु जैन और चंचल ने हर्षोल्लास से दीपावली मनाते हुए राम का स्वागत किया। मोनिका ने भी अपनी मां श्रीमती शर्मा के साथ भावपूर्ण भजन सुनाए।
भजनों का सिलसिला थमने के बाद श्री राम का नाम 108 बार लिया गया। जब राम नाम की लहरें उठ रही हों तो पैरों को थिरकने से कौन रोक सकता था, महिलाओं ने रामधुन पर नृत्य भी किया। पूरा वातावरण श्री राम की ऊर्जा से सराबोर हो उठा।
रामदूत हनुमान भला राम चर्चा में अनुपस्थित कैसे रह सकते थे? हनुमान चालीसा के द्वारा उनका वंदन किया गया। हवन सामग्री और पुष्पों का सभी से स्पर्श कराया गया ताकि खाटू श्याम मंदिर में 22 जनवरी को होने वाले यज्ञ में हम सब भी सहभागी बन सकें।
आरती के पश्चात प्रश्नों का उत्तर देने के लिए श्री वीरेन्द्र शर्मा को प्रथम पुरस्कार दिया गया। समोसा के साथ काॅफी की चुस्कियां लेने के बाद भक्तजन प्रसाद के पैकेट ले कर, राम के रंग में रंग कर हर्षित मन से घर गए।
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