लम्बे अन्तराल के बाद मैत्राी में तीज के उत्सव को मनाने का आयोजन हुआ। यद्यपि हमारे बहुत से सक्रिय सदस्य अपनी यात्राओं के कारण मौजूद नही थे मगर मैत्राी में जिस विचार का बीज पड़ जाता हैं तो फिर उसको सार्थक करने की जी जान से कोशिश की जाती हैं।
हमने कार्यक्रमों को अलग-2 समूहों में बाँट कर तैयारी की फिर कुछ संयुक्त रिहर्सल के बाद एक बढ़िया प्रारूप बन पाया। समय और बजट कम होने की वजह से हम मंच नही बनवा पाये मगर प्रोग्राम की सुबह कम्यूनिटी सेन्टर में जाकर हमने खुद सजावट की, दुपट्टों और फूलों से अनूप सुधा और नीरा नें सभागार को सजा दिया।
इस बार के प्रोग्राम की थीम हमने लोकगीत, लोकनृत्य और स्वांग रखे थे।
मेहमानों के लिए संक्षिप्त स्वागत के बाद प्रोग्राम का आरंम्भ हुआ। हमारी मुख्य अतिथि थी सम्मानीय रश्मि जी। उन्होने प्रोग्राम में आकर हमारा सम्मान बढाया। यही नही वे गीत संगीत में भी हमेंशा हमारी सहायता करती रही हैं।
कार्यक्रम की शुरूआत हमने अपने सैनिकों के लिए समर्पित संयुक्त सहगान से किया ऐ मेरे वतन के लोगो, जरा आँख में भर लो पानी, ऐ वतन, ऐ वतन हमको तेरी कसम, ऐ मेरे प्यारे वतन, वतन की राह में, जैसे खूबसूरत, सदाबहार गीतों से तैयार इस गुलदस्ते को सबने करतल ध्वनि से सराहा।
उसके बाद सुगम संगीत पर आधारित श्री कृष्ण का झूला गीत हमने गाया – रेशम की डोरी चाँदी के घुंघरू, सोने की पटरी बिछाओं मोरी गुइयाँ।
तत्पश्चात् अंजु और आशा ने एक स्वाँग रूपक पेश किया, रूपक का नाम था ‘‘शर्ट के बटन’’ जो व्यंगात्मक और सटीक था। फिर कजरी की बारी आई-‘‘अरे शमा छाई घटा घनघोर -’’ बेहद सुन्दर और अवसरानुकूल।
फिर लोकगीत गाया – ‘‘रेलिया बैरन पिया को लिए जाये रे ‘‘जिस पर अनायास ही कुछ लोग नाच उठे। उसके बाद एक बेहद मशहूर लोकगीत पर नीरा ने मोहक नृत्य किया तत्पश्चात् अनुप और सुधा ने बहुत मनोरंजक स्वांग नृत्य पेश किया – ऐ बूढा जुल्फी कटाई ले, पर।
उसके बाद नेहा और प्रीती ने फिल्मी गाने पर लाजवाब नृत्य किया। तत्पश्चात् कुछ अथितियों के आग्रह का सम्मान करते हुये हमने उनको भी मंच दिया बहुत से सुन्दर नृत्य प्रस्तुत हुये।
कार्यक्रम का अंत हुआ पंजाब के लोकगीत और लोकनृत्य ‘‘टप्पे’’ और ‘‘गिध्दा’’ के शानदार प्रदर्शन से। जिसे तैयार किया था सुरिन्दर ने । सभी प्रदर्शनो को बहुत तालियाँ मिली।कार्यक्रम के बीच-बीच मे लकी ड्राॅ भी निकाले जाते रहे।
प्रोग्राम के अन्त मे मैत्राी के सभी कलाकारों को ईनाम दिये गये। इन सभी साथियों के नाम इस प्रकार हैं – सुरिन्दर, नीलम, आशा, मधु, रितू, अन्जू, नेहा, कुमकुम, अनुप, सुधा, नीरा, मैं भी शामिल थी।
यही नही दीपा ने अनुपस्थित रहकर भी कई सार्थक सुझाव दिये।
कार्यक्रम की समाप्ति और अतिथियों के प्रति आभार प्रकट करने के बाद दक्षिण भारतीय भोजन का प्रबंध था।
पुनःश्च – इस बार हमारें मेहमानो की तादाद बहुत रही जिसका हमने ठीक से अंदाजा नही लगाया था इसके बावजूद सभी ने आयोजन की बहुत तारीफ की। सैक्टर 40 से भी बहुत से अतिथी आये थे सभी लोगों का दिल से धन्यवाद।
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