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मैत्राी में ‘‘बचपन’’
Sector 40 & 41 Noida

मैत्राी में ‘‘बचपन’’

by Sarla Adhikari

कोई भी इन्सान अपने बचपन को, चाहे वो कैसा भी हो, कभी नहीं भूलता। मैत्राी में इस बार बचपन की थीम थी और बड़ों को बच्चों के रूप में देखना एक अनोखा अनुभव था। इस महीने अध्यापक दिवस होने के उपलक्ष्य में ये थीम चुनी गई थी।
अक्सर लोग बचपन को स्कूल के दिनों के रूप में याद करते हैं। मैत्राी संध्या में ये बात प्रत्यक्ष थी। के.जी. के बच्चों से ले कर इंटर काॅलेज के बच्चों के रूप में लोग तैयार हो कर आए थे और उनकी ही तरह व्यवहार भी कर रहे थे। कई लोगों ने बहुत हँसाया।
बच्चों की तरह मंच पर आकर सबको अपनी -अपनी प्रस्तुति भी देनी थी। किसी ने कविता सुनाई, किसी ने कहानी, किसी ने पहेली तो किसी ने चुटकुले।
वोटिंग का अधिकार सभी को दिया गया था। 18 वोट से जीत हुई नीरा तुली नाम के ‘बच्चे’ की। उनको ईनाम मिला। इस के अतिरिक्त छाया, दीपिका, अंजू, ललिता, सुरिन्दर भावना, अनूप, रजनी, दीपा आदि सभी लाजवाब बच्चे लग रहे थे।
उस दिन शुरूआत ही बच्चों से हुई और बहुत खूब हुई। आप आॅनलाइन ‘सम्वाद’ मेें वीडियो देखेंगे तो समझ जायेंगे कि मैं ऐसा क्यों कह रही हूँ ।
15 तारीख को हिन्दी दिवस था, तो मुहावरों पर आधारित एक प्रतियोगिता हुई, उसमें प्रथम पुरूस्कार दीपिका ने और द्वितीय पुरूस्कार आभा ने जीता।
अंजू और छाया ने महीने के त्यौहारों -जैसे नवरात्रा, अध्यापक दिवस आदि पर नए नजरि से प्रकाश डाला।
सितम्बर में जिनके जन्मदिन थे उन मित्रों को जन्मदिन की शुभकामनाएँ दी गईं।
फ्रेशर पार्टी के तौर पर धमाकेदार संगीत पर डांस हुआ… हमारी एक मेहमान, मंजू जी ने लोकगीत पर नृत्य प्रस्तुत किया।
सभी ‘बच्चों’ ने एक समूहगान भी गाया। अन्त में तम्बोला हुआ, फिर बढ़िया चाय नाश्ते के साथ आनन्ददायक सभा विसर्जित हुई – मैत्राी की एक यादगार शाम ‘बचपन’ के नाम।

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